TRP के लिए रोना धोना-चिल्लाना, जब रियलिटी शोज की खुली पोल, जजों ने किया किनारा
AajTak
रोना धोना, फेक लव एंगल, कंटेस्टेंट्स की झूठी तारीफ करना हो या उनपर गला फाड़कर चिल्लाना... TRP के लिए हर तरह के स्टंट्स फॉलो किए जा रहे हैं. हाल ही में रोडीज के जज रघुराम राजन ने 11 साल बाद शो छोड़ने की वजह का खुलासा किया है. 2014 में उन्होंने अपनी रोडीज जर्नी को खत्म कर दिया था.
रियलिटी शोज और उनकी सच्चाई पर हमेशा से सवाल उठते रहे हैं. वो दौर अलग था जब इन शोज में सच्चाई दिखती थी. ऑडियंस दिल से कनेक्ट होती थी. लेकिन बदलते वक्त के साथ रियलिटी शोज ने खुद को ऐसे सांचे में ढाला कि इनकी प्रमाणिकता पर सवाल उठने लगे. 2024 में इन शोज के हाल और भी बुरे हो चुके हैं. इन्हें लोगों का भरोसा नहीं, चाहिए तो बस TRP और सिर्फ TRP.
फेक हैं रियलिटी शोज? अपनी दुकान (शो) चलाने के लिए मेकर्स और प्रोड्यूसर्स साम, दाम, दंड, भेद का रवैया अपना रहे हैं. इस TRP के चक्कर में भले ही किसी की पर्सनल लाइफ और मेंटल स्टेट्स की धज्जियां ही क्यों ना उड़ जाए, शो के कर्ता-धर्ता को कोई फर्क नहीं पड़ता. इस बात को समझाने के लिए बिग बॉस 17 के विनर मुनव्वर फारुकी से अच्छा उदाहरण कोई नहीं हो सकता. रोना धोना, फेक लव एंगल, कंटेस्टेंट्स की झूठी तारीफ करना हो या उनपर गला फाड़कर चिल्लाना... TRP के लिए हर तरह के स्टंट्स फॉलो किए जा रहे हैं. हाल ही में रोडीज के जज रघुराम राजन ने 11 साल बाद शो छोड़ने की वजह का खुलासा किया है. 2014 में उन्होंने अपनी रोडीज जर्नी को खत्म कर दिया था.
रघु ने क्यों छोड़ा रोडीज? एक इंटरव्यू में रघु ने बताया क्यों इतने बड़े सक्सेसफुल शो से उन्होंने अपने कदम पीछे खड़े किए. वो कहते हैं- लगातार इंटरफेयर किया जाने लगा था और कंटेस्टेंट्स पर चिल्लाने का प्रेशर था. ऐसा बिहेवियर शो की पॉपुलैरिटी को बूस्ट करने के मकसद से था. लेकिन इस सबके बीच वो अपनी आइडेंडिटी को खोने लगे थे. ऐसा था कि आपको उनके इशारों पर नाचना है. अच्छा था कि आपको सक्सेस मिल रही थी. लेकिन आप अपना अस्तित्व खो रहे थे. ऐसे में मैंने शो से किनारा करना बेहतर समझा.
इंडियन आइडल की खुली पोल रघु से पहले भी एक्स जजों ने रियलिटी शोज की पोल खोली है. जानी मानी सिंगर सुनिधि चौहान सिंगिंग शो इंडियन आइडल की जज रह चुकी हैं. एक पॉडकास्ट में उन्होंने कहा कि अब रियलिटी शोज बदल गए हैं. सब स्क्रिप्टेड होता है. मेकर्स पहले ही चुन लेते हैं किसे आगे बढ़ाना है. अच्छी बातें बोलने का प्रेशर देते हैं. कोई स्टोरी नहीं होती तो फेक स्टोरी बनाते हैं.
सोनू निगम भी इंडियन आइडल के शुरुआती सीजन में जज थे. उन्होंने सिंगिंग शो की पोल खोलते हुए बताया था कैसे उनके सीजन में जजों को स्टेज पर जाकर कंटेस्टेंट्स से मिलना अलाउड नहीं था. लेकिन आज सब बदल चुका है. जजों का रोना धोना शुरू हो गया है. जज कंटेस्टेंट्स के पैर छूने लगे हैं. ये सब रियलिटी शो में नहीं होता. इंडियन आइडल का जो स्तर हमने बनाया था वो गिर चुका है.
फेक नैरेटिव सेट करना, भेड़चाल में चलना...जिस तरह इस वक्त रियलिटी शोज के हाल हैं, देखना होगा आगे आने वक्त में इन शोज का स्टैंडर्ड उठेगा या और गिरेगा. आपको क्या लगता है?