Who is Vijay Vikram Singh: कभी नशे में डूबे रहते थे 'बिग बॉस', सपना टूटा तो खुद को किया बर्बाद, बीमारी में बाल-बाल बची जान
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बिग बॉस के नैरेटर विजय विक्रम सिंह की स्ट्रगल स्टोरी इंस्पायरिंग है. विजय कभी शराब के नशे में डूबे रहते थे, इसकी वजह से उन्हें गंभीर बीमारी हुई, इसमें उनकी जान तक जा सकती थी. अस्पताल में संघर्ष के 30-35 दिन काटने के बाद विजय को जिंदगी का सबसे बड़ा सबक मिला. उन्होंने अपनी बर्बाद जिंदगी आबाद करने की ठानी.
गलती का एहसास होना कैसे एक शख्स को फर्श से अर्श तक पहुंचा सकती है, इसका बड़ा उदाहरण हम आपको देने वाले हैं. एक इंस्पायरिंग स्टोरी है जहां सब कुछ तबाह करने के बाद शख्स ने अपनी गलतियों को ऐसे सुधारा कि आज वो लाइफ में सक्सेसफुल है. हम बात कर रहे हैं उस आवाज की जो करोड़ों लोगों ने टीवी रियलिटी शो बिग बॉस में सुनी होगी. सालों से बिग बॉस से जुड़े शो के नैरेटर विजय विक्रम सिंह की बात करेंगे.
'बिग बॉस' की कहानी जानते हैं? आपको उनकी लाइफ स्टोरी सुनकर झटका लग सकता है. विजय कभी शराब के नशे में डूबे रहते थे, इसकी वजह से उन्हें गंभीर बीमारी हुई, इसमें उनकी जान तक जा सकती थी. अस्पताल में संघर्ष के 30-35 दिन काटने के बाद विजय को जिंदगी का सबसे बड़ा सबक मिला. उन्होंने अपनी बर्बाद जिंदगी को आबाद करने की ठानी. और आज देखिए वे करोड़ों देशवासियों की पसंद हैं. उनकी आवाज के लोग दीवाने हैं. विजय के पास दौलत, शोहरत, स्टारडम सब कुछ है. वे सक्सेसफुल हैं और एक्टिंग में भी सक्रिय हैं. उनकी स्ट्रगल स्टोरी पर डिटेल में बात करते हैं, तभी आप जान पाएंगे कैसे उन्होंने अपनी जिंदगी को बदला.
रिजेक्शन ने बिगाड़ी जिंदगी कानपुर के रहने वाले विजय का जन्म लोअर मिडिल क्लास में हुआ था. विजय का बचपन से ही आर्मी ऑफिसर बनने का सपना था. इसी सपने को वे रात-दिन जीते थे. मगर जब पहली बार विजय ने SSB का एग्जाम दिया तो रिजेक्ट हो गए. 17-18 साल से पाला उनका सपना छिन्न भिन्न हो गया. वो बिखर गए थे. उस बिखराव का नतीजा था कि वो 18 की उम्र में शराब पीने लगे. अगले 4 सालों में वे आर्मी में 7 बार रिजेक्ट हुए. कुल 8 बार उन्होंने SSB में रिजेक्शन झेला. हर रिजेक्शन ने उन्हें शराब के और करीब लाकर खड़ा किया. बात इतनी बिगड़ी कि 24 साल में उनके दिन की शुरूआत शराब पीने से होती थी. उधर, वो कॉलेज गए, नौकरी भी करने लगे. पर शराब की लत उनकी बढ़ती गई. ऐसा वक्त आया कि वो सुबह उठकर पानी नहीं शराब पीते थे. अब ये लत उनके अंदर गंभीर बीमारी के रूप में पल चुकी थी.
एक सोच ने बदली जिंदगी 7 सालों में उनका शरीर बर्बाद हो गया था. 2005 में उन्हें पेट की गंभीर बीमारी हुई. डॉक्टर ने बताया था कि उनके बचने के चांस महज 15 फीसदी थे. इस बीच उन्हें निमोनिया का दौरा भी पड़ा, जिसमें वे मरते-मरते बचे. लखनऊ के PGI अस्पताल में बीते 30-35 दिनों में उन्होंने अपने परिवार की दुर्गति देखी. अस्पताल में 30-35 दिनों बाद दिखी सूरज की रोशनी ने उन्हें जिंदगी का सबक दिया और एक पल में उनकी सोच बदल दी. सोच बदलने के बाद विजय की जिंदगी बदल गई.
बाद में विजय की सरकारी नौकरी लगी. फिर बॉम्बे आने के बाद वो वॉइस ओवर आर्टिस्ट बने. 2009 में विजय ने सरकारी नौकरी छोड़ी और करियर का बड़ा रिस्क लिया. 2018 से एक्टिंग शुरू की. अब उनकी आवाज ही नहीं वो भी दिखते हैं. विजय कई रियलिटी शोज में नरेशन करते हैं. फिल्मों की डबिंग करते हैं. वे फैमिली मैन 1-2, स्पेशल ओप्स, 777 चार्ली में नजर आएं.
विजय विक्रम सिंह की ये कहानी सचमुच इंस्पायरिंग है. आपका क्या ख्याल है?
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