भारत ने नहीं भेजा तो ऑस्कर्स में कैसे पहुंच गई 'कंगुवा'? जानें क्या है 'एकेडमी' और फिल्में चुनने का पूरा प्रोसेस
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'कंगुवा' ना सिर्फ बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप रही, बल्कि क्रिटिक्स से भी इसे बहुत नेगेटिव रिव्यू मिले और इस फिल्म के लिए जनता का वर्ड ऑफ माउथ भी नेगेटिव रहा था. तो ये फिल्म ऑस्कर अवॉर्ड्स की रेस में कैसे पहुंची? एकेडमी के क्या नियम हैं? क्या शर्तें हैं? यानी ऑस्कर्स का पूरा तामझाम है क्या, आइए बताते हैं...
तमिल स्टार सूर्या की पहली पैन इंडिया फिल्म 'कंगुवा' इन दिनों खूब चर्चा में है. बीते साल 14 नवंबर को थिएटर्स में रिलीज हुई इस फिल्म का नाम, उन फिल्मों की लिस्ट में शामिल हुआ है, जो ऑस्कर अवॉर्ड्स 2025 की रेस में दौड़ने के लिए 'योग्य' हैं. रिलीज के दो हफ्ते के अंदर ही जिस फिल्म का नाम भी चर्चा से गायब हो गया हो, उसके ऑस्कर की रेस में दौड़ने की खबर लोगों के लिए काफी चौंकाने वाली थी. 'कंगुवा' ना सिर्फ बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप रही, बल्कि क्रिटिक्स से भी इसे बहुत नेगेटिव रिव्यू मिले और इस फिल्म के लिए जनता का वर्ड ऑफ माउथ भी नेगेटिव रहा था.
हालांकि, इसमें बहुत ज्यादा चौंकने वाली बात नहीं है क्योंकि ऑस्कर अवॉर्ड्स दुनिया भर में सबसे प्रतिष्ठित और निष्पक्ष फिल्म अवॉर्ड्स माने ही इसलिए जाते हैं क्योंकि इनका सेलेक्शन प्रोसेस पारदर्शी होने की पूरी कोशिश करता है और बहुत डिटेल्ड है. 'फीचर फिल्म' की परिभाषा (कम से कम 40 मिनट लंबी फिल्म) पर खरी उतरने वाली हर फिल्म, जो बस कमर्शियल थिएटर्स में रिलीज हुई हो, वो ऑस्कर्स की रेस का हिस्सा बन सकती है. फिर क्रिटिक्स या बॉक्स ऑफिस से उसे कैसा भी रिस्पॉन्स मिला हो. कैसे? इसके लिए क्या नियम हैं? क्या शर्तें पूरी करनी होती हैं? यानी ऑस्कर्स का पूरा तामझाम है क्या, आइए बताते हैं...
कौन करवाता है ऑस्कर अवॉर्ड्स? ऑस्कर्स देने का जिम्मा 'एकेडमी ऑफ मोशन पिक्चर आर्ट्स एंड साइंसेज' संभालती है, जिसे इंग्लिश में सिर्फ 'द एकेडमी' या हिंदी में सिर्फ 'एकेडमी' भी कहा जाता है. आपने ध्यान दिया होगा कि इन अवॉर्ड्स को 'एकेडमी अवॉर्ड्स' भी कहा जाता है. 'ऑस्कर' असल में उस प्रतिमा या ट्रॉफी का नाम है, जो पुरस्कार के रूप में एकेडमी देती है. ठीक वैसे ही, जैसे इंडिया में फिल्मफेयर अवॉर्ड्स की ट्रॉफी का नाम 'ब्लैक लेडी' है. ऑस्कर अवॉर्ड्स को ही सीधा 'ऑस्कर्स' कहा जाता है.
इस बार 97वें ऑस्कर अवॉर्ड्स होने हैं. ये 2024 में रिलीज हुई फिल्मों के लिए दिए जाने हैं, लेकिन फाइनल इवेंट 2025 में होगा इसलिए इन्हें ऑस्कर्स 2025 कहा जा रहा है.
क्या है ऑस्कर्स देने वाली 'एकेडमी'? 1927 में हॉलीवुड की कई आइकॉनिक हस्तियों ने एक संगठन बनाने का आईडिया सोचा, जो फिल्म इंडस्ट्री में लेबर की समस्या से डील कर सके. यहीं से 'एकेडमी ऑफ मोशन पिक्चर आर्ट्स एंड साइंसेज' यानी 'एकेडमी' अस्तित्व में आई. पहले इसमें पांच ग्रुप या ब्रांच थीं- प्रोड्यूसर, डायरेक्टर, एक्टर, राइटर और टेक्नीशियन.
1929 से 1939 तक का दौर दुनिया भर में एक भारी आर्थिक मंदी का रहा जिसे इतिहास में 'द ग्रेट डिप्रेशन' कहा जाता है. यूएस की फिल्म इंडस्ट्री में स्टूडियोज चाहते थे कि उनके एम्प्लॉयी खुद अपनी सैलरी और दिहाड़ी घटा दें. इस मामले में एकेडमी ने इंडस्ट्री की लेबर की बजाय, स्टूडियोज का पक्ष लिया जिससे लेबर मामलों को डील करने में उनकी विश्वसनीयता खत्म होने लगी. यहां से एकेडमी एक ऐसे संगठन की भूमिका में आई, जो मोशन पिक्चर्स में आर्ट और साइंस की उन्नति के लिए सिनेमेटिक वर्क को अवॉर्ड्स देती है.