Gadar 2 Review: एक्शन और डायलॉगबाजी से भरपूर है सनी देओल की 'गदर 2', सीटियां मारने को होंगे मजबूर
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22 सालों के लंबे इंतजार के बाद तारा सिंह एक बार फिर बड़े पर्दे पर लौट आए हैं. फिल्म 'गदर 2' रिलीज हो गई है. अगर इस फिल्म का इंतजार आपको भी था और आप इसे देखने का प्लान बना रहे हैं तो हमारा रिव्यू पढ़ लीजिए. जानिए सनी देओल ने इस फिल्म से कितना गदर मचाया.
सनी देओल की फिल्म 'गदर 2' का इंतजार फैंस को बेसब्री से था. इस फिल्म का पहला पार्ट 'गदर' साल 2001 में रिलीज हुआ था. यही वो फिल्म थी जिसने सनी देओल को फैंस का फेवरेट एक्टर बनाया और उन्हें 'हिंदुस्तान जिंदाबाद' का नारा दिया. अब 22 सालों के लंबे इंतजार के बाद तारा सिंह एक बार फिर बड़े पर्दे पर लौट आए हैं. आइए बताएं उन्होंने इस फिल्म के साथ सिनेमाघर में कितना गदर मचाया.
क्या है गदर 2 की कहानी?
'गदर 2' की शुरुआत काफी धुआंधार अंदाज में होती है. शुरुआत में नैरेटर नाना पाटेकर आपको तारा सिंह और सकीना की कहानी सुनाते हैं. कैसे तारा को सकीना मिली, उसे सकीना से प्यार हुआ और फिर कैसे अशरफ अली अपनी बेटी को वापस पाकिस्तान ले गया था. छोटे चरणजीत उर्फ जीते को आप एक बार फिर अपनी मां की याद में रोते देखेंगे. 'गदर' के अंत में तारा अपनी सकीना और जीते को पाकिस्तान से वापस भारत ले आया था.
इसके आगे की कहानी कुछ इस तरह है कि तारा सिंह एक ट्रक ड्राइवर है. वो आज भी सकीना से प्यार करता है और उसके लिए गाने गाता है. तारा का काम इंडियन आर्मी के पंजाब बेस के आसपास है, जहां कर्नल देवेंद्र रावत (गौरव चोपड़ा) काम करते हैं. तारा का बेटा चरणजीत उर्फ जीते बड़ा हो गया है और कॉलेज जाने लगा है. तारा चाहता है कि वो पढ़-लिखकर बड़ा आदमी बने. लेकिन जीते को धर्मेंद्र और राज कपूर की तरह मुंबई जाकर एक्टर बनना है.
दूसरी तरफ पाकिस्तान में जनरल हामिद इकबाल, तारा सिंह से दुश्मनी मोल लेकर बैठा है. जब तारा सिंह, सकीना को अशरफ अली से छुड़वाकर लाया था तब उसने हामिद के 40 जवानों को अकेले मार गिराया था. तब से उसे हिंदू और हिंदुस्तानियों से नफरत हो गई थी. अब उसकी जिंदगी का मकसद है तारा सिंह को ढूंढना और उसका खात्मा करना. इस बीच वो अपने सामने आने वाले हिंदू और हिंदुस्तानी इंसान पर खूब जुल्म कर रहा है.
ये 1971 का समय है जब पाकिस्तान के साथ भारत की लड़ाई होने जा रही है. इस बीच किसी वजह से तारा का बेटा जीते पाकिस्तान पहुंच जाता है. अब तारा को जीते को लेने एक बार फिर पाकिस्तान जाना होगा, जहां हामिद इकबाल अपने मंसूबों को अंजाम देने के लिए उसकी राह तक रहा है. क्या तारा अपने बेटे को बचाकर वापस भारत ला पाएगा? यही फिल्म में देखने वाली बात है.
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