Dream Girl 2 के बहाने जानिए फ्यूचर की फिल्मों का कॉन्सेप्ट
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ड्रीम गर्ल 2 में एक नए प्रयोग के साथ आयुष्मान खुराना हमारे सामने हैं. फिल्म में जैसी एक्टिंग आयुष्मान के अलावा बाकी लोगों ने की है वो दर्शकों को पसंद आ रही है. फिल्म देखते हुए एक बात तो साफ़ हो जाती ही कि इस प्रयोग को जनता ने पसंद किया है. कह सकते हैं कि ड्रीम गर्ल 2 ने हमें भविष्य में आने वाली फिल्मों का कॉन्सेप्ट बता दिया है.
इस शुक्रवार रिलीज हुई ड्रीम गर्ल 2 के साथ आयुष्मान खुराना हमारे सामने हैं. फिल्म कैसी है? इसका तो फैसला लगभग हो चुका है. गदर 2 और ओएमजी 2 जैसी धाकड़ फिल्मों के बीच ये फिल्म बॉक्स ऑफिस पर शानदार कलेक्शन कर रही है. भारत में ड्रीम गर्ल 2 अब तक 40 करोड़ रुपए की कमाई कर चुकी है, जबकि ग्लोबल कलेक्शन 55 करोड़ रुपए का हो चुका है. फिल्म क्रिटिक्स और फैन आयुष्मान के काम की जबरदस्त तारीफ करते नजर आ रहे हैं. एक कलाकार के रूप में आयुष्मान की चाहे आलोचना हो या प्रशंसा. इस बात में कोई शक नहीं है कि क्रॉस ड्रेस करना एक एक्टर के लिए किसी भी सूरत में आसान नहीं है. पूर्व में भी हम कमल हासन और अमिताभ बच्चन से लेकर सलमान खान और गोविंदा जैसे कलाकारों को इस अवतार में देख चुके हैं. दर्शकों ने उनके काम को पसंद किया और इस तथ्य को भी माना कि ऐसे प्रयोग न केवल डायरेक्टर और स्क्रिप्ट राइटर की क्रिएटिविटी को दर्शाते हैं बल्कि इनसे एक एक्टर को भी कुछ नया करने का मौका मिलता है.
उपरोक्त बातों के बाद, जब हम आयुष्मान की हालिया रिलीज फिल्म ड्रीम गर्ल को देखते हैं. तो महसूस यही होता है कि, इस फिल्म के जरिये बॉलीवुड द्वारा भविष्य में रिलीज की जाने वाली फिल्मों का कांसेप्ट, हम दर्शकों को सामने पेश किया गया है. हो सकता है कि ये सुनने में थोड़ा अटपटा लगे लेकिन बीते कुछ वक़्त से जैसी फ़िल्में बॉलीवुड बना रहा है और जिस तरह वो क्रिटिक्स के अलावा फैंस के निशाने पर है, कुछ नया करना समय की मांग थी.
बॉलीवुड अपना भविष्य संवारने के लिए क्या तरीके अपना रहा है? इस सवाल को जानने से पहले हमारे लिए ये समझना बहुत जरूरी है कि भारत जैसे देश में सिनेमा सिर्फ मनोरंजन नहीं है. भारत में सिनेमा देश के दिल और आत्मा में बसता है. भारत में सिनेमा के प्रति लोगों की दीवानगी का आलम क्या है? इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि यहां लोग फिल्मों को अपने आप से जोड़ते हैं और इसके जरिये दुख और सुख झलकते हैं.
भारत वो देश है जहां फिल्मी हस्तियों की पूजा करने और उनके मंदिर बनाने का भी रिवाज रहा है.अब चूंकि भारत में सिनेमा इमोशन है आस्था तक से जुड़ा है. यही कारण है कि हिंदी फिल्मों की वर्तमान स्थिति एक राष्ट्रीय मुद्दा बन गई है. हालिया दिनों में हिंदी फिल्मों की लगातार भद्द पिट रही है. जोर-शोर से कहा जा रहा है कि हिंदी फिल्मों का समय खत्म हो गया है. लेकिन अब जब हम ड्रीम गर्ल जैसी फिल्मों को देखते हैं उसमें लड़के से लड़की बने आयुष्मान को उम्दा एक्टिंग करते देखते हैं तो महसूस यही होता है कि इंडस्ट्री प्रयोग भी कर रही है और बदलाव लगातार जारी हैं.
हम फिर इस बात को दोहराना चाहेंगे कि 'कुछ अलग करना' या लीग से अलग चलना आज बॉलीवुड के लिए समय की जरूरत है. और शायद यही वो कारण है कि हम आज के समय में एक्टर्स को वो करते देख रहे हैं जो न केवल उनकी एक्टिंग स्किल्स की परीक्षा ले रहा है बल्कि जिससे बहुत हद तक उनकी छवि भी प्रभावित हो सकती है.
आज के समय में किसी भी कलाकार के लिए इमेज बहुत जरूरी चीज है. हम तमाम कलाकारों को इमेज बिल्डिंग के लिए मोटा पैसा खर्च करते देखते हैं. ऐसे में चाहे वो ड्रीम गर्ल 2 में आयुष्मान हों या 'ताली' में सुष्मिता सेन साफ़ हो जाता है कि अगर एक एक्टर अपने कंफर्ट जोन को तोड़ कर कुछ अलग कर रहा है तो साफ़ है कि इसका उद्देश्य उस छवि को बदलना है जो बॉलीवुड को लेकर आम लोगों के दिमाग में बन चुकी है.
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