राज कपूर की फिल्म से शाहरुख की 'जवान' तक... एक वेटर के इंतजार में कैसे बना 'रमैया वस्तावैया' गाना
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शाहरुख खान की नई फिल्म 'जवान' का गाना 'नॉट रमैया वस्तावैया' रिलीज होने वाला है. बॉलीवुड फैन्स को याद होगा कि हिंदी सिनेमा के लेजेंड राजकपूर की एक फिल्म में भी 'रमैया वस्तावैया' टाइटल का गाना था. जितना मजेदार राजकपूर साहब का गाना था, उतनी ही मजेदार इस गाने के पीछे की कहानी है.
एक तरफ जनता शाहरुख खान की अगली फिल्म 'जवान' के ट्रेलर के इंतजार में नजरें बिछाए बैठी है. तो दूसरी तरफ मेकर्स ने ट्रेलर की जगह फिल्म का नया गाना थमा दिया है. 'जवान' के नए गाने 'नॉट रामैया वस्तावैया' का प्रोमो शेयर कर दिया गया है और ये गाना एक मजेदार डांस नंबर जैसा लग रहा है. 'जवान' का ये गाना जरूर नया है, लेकिन इस गाने के टाइटल में आया 'रमैया वस्तावैया' बहुत पुराना है. एकदम सटीक जोड़ा जाए तो 68 साल पुराना!
शाहरुख के इस नए गाने से हिंदी सिनेमा के फैन्स को एक पुराना गाना जरूर याद आ जाएगा. हिंदी सिनेमा के लेजेंड, राज कपूर की फिल्म 'श्री 420' (1955) में 'रमैया वस्तावैया' टाइटल का एक गाना था. इस गाने को सुनकर बहुत लोगों के पैर थिरके होंगे. लेकिन क्या आपको पता है कि इस 'रमैया वस्तावैया' का मतलब क्या है? जितना मजेदार राज कपूर का गाना था, उतना ही मजेदार इस गाने के पीछे का किस्सा है. आइए बताते हैं...
चाय-नाश्ते के इंतजार में बना गाना किस्सा कुछ यूं बताया जाता है कि 'श्री 420' के गाने कम्पोज करने काम संगीतकार जोड़ी शंकर-जयकिशन को मिला था. और गाने लिखने का जिम्मा मिला उस दौर के दो बेहतरीन गीतकारों हसरत जयपुरी और शैलेन्द्र को. चार लोगों की ये टीम गानों पर काम करने के लिए रोज खंडाला जाया करती थी. और रास्ते में ये लोग चाय-नाश्ते के लिए हाइवे किनारे एक ठीये पर रुकती थी. इस दुकान पर काम करने वाले एक वेटर का नाम रमैया था. रमैया तेलुगू था और हैदराबाद में बड़े हुए शंकर तेलुगू बोलना जानते थे, तो वो हमेशा रमैया को तेलुगू में ऑर्डर दिया करते थे.
ऐसे ही एक 'वर्क ट्रिप' पर जब ये चारों चाय-नाश्ते के लिए रुके तो शंकर ने ऑर्डर देने के लिए रमैया को बुलाया. लेकिन उस समय रमैया किसी और टेबल पर बिजी था. थोड़े इंतजार के बाद शंकर ने रमैया को फिर से आवाज देते हुए कहा 'वस्तावैया?'. तेलुगू में 'वस्तावैया' का मतलब होता है 'आएगा या नहीं?' रमैया को जल्दी आने का इशारा करते हुए शंकर ने गुनगुनाना शुरू कर दिया- 'रमैया वस्तावैया... रमैया वस्तावैया'. शंकर गाने लगे तो जयकिशन ने टेबल पर ही टाल देनी शुरू कर दी. लेकिन सिर्फ एक लाइन से मामला न जमते देख, शैलेन्द्र ने तुरंत जोड़ा- 'मैंने दिल तुझको दिया.'
रमैया के आने और ऑर्डर लेने तक चारों ने सोच लिया कि ये एक अच्छा गाना बन सकता है. अब ये दो लाइनें 'श्री 420' के डायरेक्टर और हीरो राज कपूर को सुनाई गईं. उन्हें भी गाने का ये मुखड़ा पसंद आ गया. बस 'रमैया वस्तावैया' की जगह कुछ हिंदी शब्द लगाने की जरूरत थी क्योंकि तेलुगू शब्दों का मतलब हिंदी ऑडियंस को समझ आए न आए! लेकिन इस धुन में 'रमैया वस्तावैया' साउंड इतना सही कर रहा था कि इसे बदलने से मजा नहीं आ रहा था.
बताया जाता है कि कपूर साहब ने खासतौर पर इस गाने के लिए फिल्म की कहानी में एक सिचुएशन क्रिएट की. तो अब 'रमैया वस्तावैया' फिल्म में आ गया और फिर जनता में ऐसा पॉपुलर हुआ कि आजतक लोग इस गाने पर थिरक लेते हैं.
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