Chhattisgarh में बीजेपी ने कैसे पलट दी बाजी, इस दांव से चित हो गए बघेल
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वर्ष 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में निराशाजनक परिणाम से आहत भाजपा इस चुनाव से एक वर्ष पहले तक लगभग बिखरी हुई नजर आ रही थी और विधानसभा के उपचुनावों तथा स्थानीय निकायों में हार ने पार्टी को और भी निराश कर दिया था.
नई दिल्लीः छत्तीसगढ़ में हुए विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे को सामने रखकर चुनाव लड़ा, जिसका फायदा पार्टी को मिलता दिख रहा है. राज्य में अपने चुनाव प्रचार के दौरान कांग्रेस सरकार पर आक्रामक रहे प्रधानमंत्री ने ऑनलाइन सट्टेबाजी ऐप घोटाले सहित अन्य कथित घोटालों को लेकर भूपेश बघेल सरकार पर जमकर हमला बोला था. प्रधानमंत्री मोदी ने कांग्रेस के वादों के सामने अपनी ‘गारंटी’ को लोगों के सामने रखा और कहा कि “मोदी की गारंटी मतलब वादों को पूरा करने की गारंटी” है. इस दौरान उन्होंने कांग्रेस पर वोट बैंक और तुष्टीकरण की राजनीति में लिप्त होने का भी आरोप लगाया.
भारत में जंग से ज्यादा सैनिक शांतिकाल में जान गंवा रहे हैं. मीडिया रिपोर्ट में सैनिकों की अप्राकृतिक मौतों के आंकड़े देते हुए यह दावा किया गया है. 2022 में रक्षा मंत्रालय ने राज्यसभा में एक सवाल के जवाब में बताया था कि तीनों सेनाओं में पिछले पांच वर्षों में 819 आत्महत्याएं रिपोर्ट हुई हैं. इनमें 642 आत्महत्याएं आर्मी, 148 एयर फोर्स और 29 नेवी में हुई हैं.
Amit Shah launched CBI Bharatpol: भारत में इंटरपोल के लिए राष्ट्रीय केंद्रीय ब्यूरो के रूप में सीबीआई, देश भर की एजेंसियों के साथ सहयोग के माध्यम से आपराधिक मामलों में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग की सुविधा प्रदान करती है. अब भारतपोल के लॉन्च होने से, हर भारतीय एजेंसी और सभी राज्यों की पुलिस आसानी से इंटरपोल से जुड़ सकेगी.
HMPV Virus in India: चीन में ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस (HMPV) के प्रकोप ने वैश्विक चिंताएं बढ़ा दी हैं. भारत भी इस वायरस पर नजर रखे हुए है. इसके लक्षण COVID-19 जैसे ही हैं और इसका कोई टीका नहीं है. भारतीय स्वास्थ्य अधिकारियों ने आश्वासन दिया है कि श्वसन संक्रमण में कोई खास वृद्धि नहीं होगी. इसके प्रसार को रोकने के लिए सामान्य सावधानियों की सलाह दी जाती है.
ब्रिक्स समिट के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच मुलाकात हुई थी. इससे पहले भारत-चीन सीमा विवाद पर भी सहमति बनाने की कोशिश हुई थी. इससे दोनों देशों के बीच संबंध पटरी पर आने की उम्मीदें बढ़ गई थी, लेकिन विस्तारवादी चीन अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है और इन उम्मीदों को झटका दे रहा है.