महाराष्ट्र विधान सभा चुनावों में महायुति जीते या महाविकास अघाड़ी, सरकार त्रिशंकु ही रहेगी? । Opinion
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महाराष्ट्र में भले किसी एक गठबंधन को बहुमत मिल जाए पर किसी एक पार्टी को पूर्ण बहुमत नहीं मिलते दिख रहा है. जाहिर है ऐसी स्थिति में मुख्यमंत्री पद के कई दावेदार होने वाले हैं. दोनों ही गठबंधनों में मुख्यमंत्री पद के लिए कोई भी कुर्बानी देने के लिए लोग तैयार बैठे हैं. पार्टी या विचारधारी कोई मायने नहीं रखेगी. यानी, नतीजों के बाद एक नया गठबंधन बनने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता.
महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में वोटिंग के बाद काउंटिंग 23 नवंबर को होनी है. पर एग्जिट पोल आ चुके हैं. सभी एग्जिट पोल करीब-करीब एक ही जैसे हैं. इस तरह महाराष्ट्र में महायुति की सरकार बनती नजर आ रही है. पर जिस तरह का चुनाव महाराष्ट्र में लड़ा गया है उससे नहीं लगता है कि राज्य में स्थाई सरकार बन सकेगी. चाहे कोई भी गठबंधन सत्ता का जादुई आंकड़ा पार कर ले पर कुछ नेताओं की अतिमहत्वाकांक्षा उसे त्रिशंकु में लटकाने का काम करेगा ही करेगा. जिस तरह की राजनीति पिछले 5 सालों से महाराष्ट्र में हो रही है हर कोई यही समझने लगा है कि वह भी प्रदेश का सीएम बन सकता है. गैर विचारधारा के साथ जुड़कर उद्धव ठाकरे ने इसकी शुरूआत की थी तो कम विधायकों के साथ एकनाथ शिंदे ने भी अपना कार्यकाल पूरा कर दिया कि किस तरह असंभव को संभव किया जा सकता है. इन दोनों उदाहरणों को देखते हुए महाराष्ट्र में जब तक किसी एक पार्टी को पूर्ण बहुमत नहीं मिलता गठबंधनों का स्वरूप बदलता रहेगा. यानी कि त्रिशंकु की तरह लटकी रहेगी महाराष्ट्र की सरकार.
1-एग्जिट पोल में किसी भी पार्टी को बहुमत मिलता नहीं दिख रहा है
इस बार के विधानसभा चुनावों में गठबंधन को तो पूर्ण बहुमत मिलते दिख रहा है पर किसी भी पार्टी को पूर्ण बहुमत नहीं मिल रहा है. जाहिर है जोड़ तोड़ चलती रहेगी. जैसे मान लीजिए कि महायुति में 90 सीट बीजेपी को मिल जाती है और 35 सीटें शिवसेना शिंदे गुट को मिल जाती हैं . एनसीपी अजित पवार को 25 सीट मिल जाती है, इस तरह महायुति के पास कुल 150 सीटें हो जाती हैं. 288 सीटों वाली विधानसभा में 145 सीट बहुमत सिद्ध करने के लिए पर्याप्त है. इस तरह सरकार तो महायुति की बन जाएगी. पर एमवीए के पास भी 138 सीटें रहेंगी. जाहिर है कि कुल सात सीटें कम रहने के चलते एमवीए पीछे रहेगी. ऐसी दशा में एमवीए अगर अजित पवार को ऑफर करती है कि आप मेरे साथ आइये और सीएम बन जाइये , तो क्या वो प्रस्ताव को वो ठुकरा पाएंगे? जाहिर है कि जब तक महाराष्ट्र में किसी एक पार्टी को पूर्ण बहुमत नहीं मिलता है तोड़फोड़ का खेल चलता रहेगा.
2-महायुति में बीजेपी में कम सीट होने का मतलब सहयोगी करेंगे ज्यादा मोल भाव
महायुति में अगर भारतीय जनता पार्टी को पर्याप्त बहुमत नहीं मिलता है तो महाराष्ट्र की विधानसभा हंग असेंबली ही कही जाएगी. क्योंकि सरकारों पर हमेशा खतरा बना रहेगा. जब भी कोई नेता नाराज होगा या जब भी प्रदेश के 2 ध्रुव वाले नेता कहीं आपस में मिलेंगे तो खबरों का बाजार गर्म हो जाएगा. इसके साथ ही मोलभाव का बाजार हमेशा बना रहेगा. अगर बीजेपी कमजोर पड़ती है तो न केवल अजित पवार सौदेबाजी के मूड में होंगे बल्कि शिवसेना शिंदे गुट को भी मोल भाव का मौका मिल जाएगा. एकनाथ शिंदे भी यह कह सकते हैं कि मुख्यमंत्री वह खुद बनेंगे . वो तर्क देंगे की मेरी वजह से एनडीए सत्ता में आई है.जिस तरह वो कम विधानसभा सीटों के साथ भी प्रदेश के मुख्यमंत्री बने हुए हैं, वो चाहेंगे कि भविष्य में भी वही मुख्यमंत्री रहें. इसके लिए जरूरत पड़ने पर एमवीए की ओर जाने की धमकी भी दे सकते हैं. इसके साथ ही एमवीए कुछ सीटें के बावजूद सरकार बनाने के लिए हर कदम उठाने को तैयार होगी. हो सकता है कि एकनाथ शिंदे को भी सीएम बनाने को तैयार हो जाएं. इसी तरह अजित पवार भी खुद को सीएम बनाने की डिमांड महायुति और एमवीए दोनों ही गुटों में कर सकते हैं. आज दिन गुरुवार को जबकि नतीजे आने में अभी 2 दिन हैं पर कांग्रेस और शिवसेना यूबीटी में सीएम पद की मारा मारी शुरू हो गई है. कांग्रेस नेता नाना पटोले ने कहा है कि 'महाराष्ट्र में कांग्रेस के नेतृत्व में ही अघाडी की सरकार बनेगी.राज्य में कांग्रेस के सबसे ज्यादा विधायक चुने जाएंगे. अघाडी की सरकार बनेगी.' उनके इस बयान को संजय राउत ने खारिज करते हुए कहा, 'हम नहीं मानेंगे .. कोई नहीं मानेगा .. हम लोग बैठकर तय करेंगे जाहिर है कि महाराष्ट्र में किसी भी गठबंधन की सरकार बने सरकार त्रिशंकु ही रहेगी.
3-एनसीपी और शिवसेना के दोनों धड़े कहीं भी कर सकते हैं मूव
महाराष्ट्र विधान सभा चुनावों में महायुति जीते या महाविकास अघाड़ी, सरकार त्रिशंकु ही रहेगी? । Opinion
महाराष्ट्र में भले किसी एक गठबंधन को बहुमत मिल जाए पर किसी एक पार्टी को पूर्ण बहुमत नहीं मिलते दिख रहा है. जाहिर है ऐसी स्थिति में मुख्यमंत्री पद के कई दावेदार होने वाले हैं. दोनों ही गठबंधनों में मुख्यमंत्री पद के लिए कोई भी कुर्बानी देने के लिए लोग तैयार बैठे हैं. पार्टी या विचारधारी कोई मायने नहीं रखेगी. यानी, नतीजों के बाद एक नया गठबंधन बनने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता.
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