Exit poll: राहुल गांधी ने विधानसभा चुनाव में क्या वो गवां दिया, जो लोकसभा में मिला? | Opinion
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एग्जिट पोल के नतीजे अगर फाइनल रिजल्ट से मैच कर जाते हैं, तो राहुल गांधी के लिए ये अच्छी खबर नहीं हैं. हरियाणा में कांग्रेस के मौका गवां देने के बाद महाराष्ट्र और झारखंड में ताकत बढ़ाने का अच्छा अवसर था, लेकिन लगता है राहुल गांधी चूक गये.
राहुल गांधी के लिए लोकसभा सभा चुनाव के नतीजे बहुत बड़ा सपोर्ट थे. 2019 की हार के बाद कांग्रेस अध्यक्ष का पद छोड़ चुके राहुल गांधी ने अगर लोकसभा में विपक्ष का नेता बनने का फैसला किया तो उसके पीछे 2024 में मिली चुनावी कामयाबी ही थी.
और राहुल गांधी को ये कामयाबी उनकी निजी मेहनत या सिर्फ कांग्रेस की वजह से नहीं मिली थी, बल्कि INDIA ब्लॉक के बैनर का था. देखा जाये तो सबसे सफल तो अखिलेश यादव रहे, और जब जिक्र होगा तो ममता बनर्जी को भी माना जाएगा. राहुल गांधी के हिसाब से फर्क ये था कि अखिलेश यादव पूरी तरह साथ थे, और ममता बनर्जी पूरी तरह खिलाफ नहीं थीं.
ये लोकसभा के चुनाव नतीजे ही रहे जिनकी बदौलत नेता प्रतिपक्ष बनते ही राहुल गांधी लोकसभा में दहाड़ने लगे कि वे लोग बीजेपी को गुजरात जाकर भी हराएंगे. ऐसा भी नहीं कि राहुल गांधी पहले नहीं दहाड़ते थे, लेकिन बॉडी लैंग्वेज में फर्क तो साफ साफ देखने को मिल रहा था. नेता प्रतिपक्ष बनने के बाद राहुल गांधी का कॉन्फिडेंस लेवल देखने लायक था, लेकिन उसके पहले सिर्फ ऐंठन या कहें एटीड्यूड नजर आता था. जनता का साथ मिलता है तो ऐसा ही होता है.
एग्जिट पोल से लग रहा है कि महाराष्ट्र और झारखंड ही नहीं, उत्तर प्रदेश में भी बीजेपी बढ़त बनाने वाली है. बुरी खबर तो ये बाकी विपक्षी दलों के लिए भी है, लेकिन सबसे बुरा तो राहुल गांधी को ही लग रहा होगा.
एग्जिट पोल में राहुल गांधी के लिए बुरी खबर क्यों?
ये लोकसभा चुनावों में कांग्रेस को मिली कामयाबी ही थी, जिसकी बदौलत राहुल गांधी राजनीतिक गतिविधियों में पहले के मुकाबले ज्यादा एक्टिव होकर हिस्सा लेने लगे थे. राहुल गांधी की राजनीति में बदलाव भी देखने को मिलने लगा था.
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