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AAP-कांग्रेस के बीच रिश्ते कभी खट्टे-कभी मीठे... जानिए दिल्ली में क्यों केजरीवाल नहीं लेना चाहते रिस्क?
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दिल्ली के विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी अकेले ही लड़ेगी. पार्टी ने साफ कर दिया है कि विधानसभा चुनाव में किसी से गठबंधन नहीं किया जाएगा. इससे पहले दिल्ली में आम आदमी पार्टी और कांग्रेस में गठबंधन होने की अटकलें थीं. क्योंकि लोकसभा चुनाव में दोनों पार्टियों ने साथ मिलकर चुनाव लड़ा था.
दिल्ली में कुछ ही महीने में विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं. इस चुनाव में आम आदमी पार्टी अकेले ही उतरेगी. इससे पहले माना जा रहा था कि विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के बीच गठबंधन हो सकता है. आम आदमी पार्टी ने साफ कर दिया है कि वो विधानसभा चुनाव में किसी से गठबंधन नहीं करेगी.
कांग्रेस ने भी कुछ दिन पहले सभी 70 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारने का ऐलान किया था. आम आदमी पार्टी भी 70 में से 11 सीटों पर उम्मीदवारों के नाम घोषित कर चुकी है.
दिल्ली में आम आदमी पार्टी और कांग्रेस ने मिलकर लोकसभा चुनाव लड़ा था. आम आदमी पार्टी ने 4 और कांग्रेस ने 3 सीटों पर चुनाव लड़ा था. लेकिन ये गठबंधन एक भी सीट नहीं जीत सका था. बीजेपी ने लगातार तीसरे चुनाव में सभी सातों सीटों पर जीत दर्ज की थी.
कभी दोस्ती तो कभी दूरी
आम आदमी पार्टी और कांग्रेस में कभी दोस्ती होती है तो कभी दूरी ही बनी रहती है. कांग्रेस के समर्थन से ही पहली बार अरविंद केजरीवाल दिल्ली के मुख्यमंत्री बने थे.
2013 में हुए विधानसभा चुनाव में पहली बार आम आदमी पार्टी चुनावी मैदान में उतरी. पहले चुनाव में आम आदमी पार्टी ने 70 में से 28 सीटें जीतीं. 31 सीटें जीतकर बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनी. कांग्रेस को 8 सीटें मिलीं. किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिला था. बाद में आम आदमी पार्टी और कांग्रेस ने मिलकर सरकार बनाई. इस सरकार में अरविंद केजरीवाल मुख्यमंत्री बने.
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आम आदमी पार्टी हाल में संपन्न दिल्ली विधानसभा चुनाव में 62 सीटों से नीचे गिरकर 22 सीटों पर आ गई. पार्टी के बड़े-बड़े धुरंधर जिनमें अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया और सौरभ भारद्वाज, सत्येंद्र जैन, सोमनाथ भारती शामिल हैं, चुनाव हार गए. लेकिन कालकाजी में काफी कड़े मुकाबले में आतिशी ने बीजेपी के वरिष्ठ नेता और पूर्व सांसद रमेश बिधूड़ी को हराने में सफलता पाई.