गर्भवती पत्नी का हत्यारा समय से पहले होगा रिहा, कोर्ट ने कहा- पुलिसकर्मी होने के कारण नहीं रोका जा सकता
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बॉम्बे हाई कोर्ट ने एक पुलिसकर्मी द्वारा गर्भवती पत्नी की हत्या के मामले में महाराष्ट्र जेल प्राधिकरण के उस आदेश को खारिज कर दिया, जिसमें दोषी को समय से पहले रिहाई का लाभ देने से मना किया गया था. कोर्ट ने कहा कि पुलिसकर्मी होने के आधार पर उसे रिहाई से वंचित नहीं किया जा सकता.
बॉम्बे हाई कोर्ट ने गर्भवती पत्नी की हत्या के दोषी पुलिसकर्मी प्रदीप सिंह ठाकुर की समय से पहले रिहाई का रास्ता साफ कर दिया है. कोर्ट ने महाराष्ट्र जेल प्राधिकरण के उस आदेश को खारिज कर दिया, जिसमें ठाकुर को रिहाई का लाभ देने से मना किया गया था.
यह मामला 2001 का है, जब प्रदीपसिंह ठाकुर ने दहेज की मांग पूरी न होने पर अपनी गर्भवती पत्नी की गला दबाकर हत्या कर दी थी. निचली अदालत ने उन्हें फांसी की सजा सुनाई थी, जिसे हाई कोर्ट ने उम्रकैद में बदल दिया.
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राज्य का तर्क
महाराष्ट्र सरकार ने यह कहते हुए ठाकुर की समय से पहले रिहाई का विरोध किया कि वह एक पुलिसकर्मी थे और उनके द्वारा पत्नी की हत्या का अपराध सामान्य हत्या से अधिक गंभीर है. राज्य ने इसे 'असाधारण हिंसा और क्रूरता' का मामला बताया और कहा कि ऐसे अपराध के लिए दोषी को 14 साल बाद रिहाई का लाभ नहीं दिया जाना चाहिए.
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