Harsha Bhogle: 'ये ऐसा सोचते हुए बड़े...', दीप्ति शर्मा रनआउट मामले में हर्षा भोगले ने 8 ट्वीट कर इंग्लैंड को धो डाला!
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दीप्ति शर्मा ने इंग्लैंड की चार्ली डीन को जिस तरह से रनआउट किया था, वह क्रिकेट जगत में एक बड़ी बहस का विषय बना था. कमेंटेटर हर्षा भोगले ने इसपर अब 8 ट्वीट की एक थ्रेड लिखी है, जिसमें अंग्रेज़ों को आइना दिखाने का काम किया है.
भारतीय महिला क्रिकेट टीम ने हाल ही में वनडे सीरीज में 3-0 से क्लीन स्वीप कर इंग्लैंड को उसी के घर में धो दिया था. कप्तान हरमनप्रीत कौर की अगुवाई में महिला टीम ने इतिहास रचा, लेकिन लॉर्ड्स में खेला गया आखिरी वनडे मैच एक रनआउट की वजह से सुर्खियों में रहा. टीम इंडिया की दीप्ति शर्मा ने इंग्लैंड की चार्ली डीन को ‘मांकड़’ रनआउट किया था, जिसपर बवाल हो गया. यह रनआउट भले ही आईसीसी के नियमों के तहत हुआ था, लेकिन इंग्लैंड के मौजूदा और पूर्व क्रिकेटर इसपर भड़क गए थे. तमाम तर्कों और बहस के बीच अब दिग्गज कमेंटेटर हर्षा भोगले ने इस मसले पर खुलकर बात की है. हर्षा भोगले ने शुक्रवार को ट्विटर पर एक लंबी थ्रेड के जरिए इस मसले पर बात की और बताया कि किस तरह इंग्लैंड, जहां क्रिकेट पैदा हुआ वो अपनी सोच अन्य लोगों, देशों पर थोपने की कोशिश कर रहा है. हर्षा भोगले ने इस मसले पर क्या कहा, उसका पूरा हिन्दी अनुवाद यहां पढ़ सकते हैं... ‘मुझे ये बात बहुत ही परेशान कर रही है कि इंग्लैंड की मीडिया का एक बहुत बड़ा हिस्सा एक ऐसी लड़की पर सवाल उठा रहा है जिसने खेल के नियमों के दायरे में रहकर खेला और कोई भी उस खिलाड़ी पर सवाल नहीं उठा रहा है जो ग़ैर-कानूनी तरीक़े से फ़ायदा उठाने की कोशिश कर रही थी और ऐसा वो कई बार कर चुकी थी. इसमें बेहद तर्कसंगत लोग भी शामिल हैं और मुझे लगता है कि इसके पीछे संस्कृति का हाथ है. अंग्रेज़ ये सोच रहे हैं कि जो हुआ वो ग़लत था और क्यूंकि उन्होंने क्रिकेट की दुनिया के बेहद बड़े हिस्से पर राज किया है, इसलिये उन्होंने सभी को ये बताया कि वो ग़लत था.’
it is a cultural thing. The English thought it was wrong to do so & because they ruled over a large part of the cricket world, they told everyone it was wrong. The colonial domination was so powerful that few questioned it. As a result,the mindset still is that what England (2/n)
to think the way England does and so we see what is so plainly wrong. So too the notion that turning tracks are bad but seaming tracks are fine. The reason I say it is cultural is that it is what they are brought up to think. They don't think it is wrong. The problem arises (4/n)
‘उपनिवेशी प्रभुता इतनी ताक़तवर थी कि उसपर बहुत कम उंगलियां उठीं. नतीजा ये रहा कि आज भी यही समझा जाता है कि इंग्लैंड जिसे ग़लत समझे, बची हुई क्रिकेट की दुनिया को उसे ग़लत ही समझना चाहिये. ठीक वैसे ही, जैसे ऑस्ट्रेलियाई लक्ष्मण रेखा पार न करने का उपदेश देते हैं. वो लक्ष्मण रेखा, जो उन्होंने अपनी संस्कृति के अनुसार ख़ुद ही खींची है और जो दूसरों के अनुसार ठीक नहीं हो सकती है. बाकी दुनिया इंग्लैंड की सोच के अनुसार चलने के लिये प्रतिबद्ध नहीं है और इसीलिए जो ग़लत है वो हमें साफ़ नज़र आ रहा है. ये भी सोचना ग़लत है कि टर्न लेने वाली पिचें ख़राब हैं और सीमिंग पिचें एकदम सही हैं.’
asking others to wake up from centuries old colonial slumber. The easiest thing is to play by the laws of the game & stop worrying about subjective interpretation of the spirit of the game,stop forcing opinions on others.The law says the non-striker must be behind the crease(6/n)