
सुप्रीम कोर्ट ने 8 दलों पर उम्मीदवारों का क्रिमिनल रिकाॅर्ड प्रकाशित नहीं करने के लिए लगाया जुर्माना
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शीर्ष अदालत ने कहा कि क्रिमिनल बैकग्राउंड वाले लोगों को कानून बनाने वाला बनने की इजाजत नहीं दी जानी चाहिए. राजनीतिक दलों ने इस मामले में गहरी नींद से जागने से इनकार कर दिया है.
नई दिल्लीः उच्चतम न्यायालय ने राजनीति के अपराधीकरण को रोकने के लिए बिहार में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और जनता दल (यूनाइटेड) सहित नौ राजनीतिक दलों को 2020 के विधानसभा चुनाव में अदालत के एक आदेश का पालन नहीं करने के लिए मंगल को अवमानना का कसूरवार ठहराया है. शीर्ष अदालत ने उम्मीदवारों के आपराधिक रिकाॅर्ड के बारे में तफसील पेश करने के अपने पहले के आदेशों में से एक को संशोधित किया है. न्यायालय ने कहा, ‘‘हम साफ करते हैं कि हमारे 13 फरवरी 2020 के आदेश के पैरा 4.4 में निर्देश को संशोधित किया जाए और यह स्पष्ट किया जाता है कि जिन जानकारियों को पब्लिश करना जरूरी है, उन्हें उम्मीदवार के चयन के 48 घंटों के भीतर प्रकाशित किया जाएगा, न कि नामांकन दाखिल करने की पहली तारीख से दो सप्ताह से पहले.’’ क्रिमिनल बैकग्राउंड वाले लोगों को कानून बनाने की इजाजत नहीं शीर्ष अदालत ने कहा कि क्रिमिनल बैकग्राउंड वाले लोगों को कानून बनाने वाला बनने की इजाजत नहीं दी जानी चाहिए, लेकिन न्यायालय के जरिए राजनीति में ऐसे लोगों की संलिप्तता को रोकने के लिए जरूरी संशोधन पेश करने के बारे में की गई तमाम अपीलों पर किसी के कान पर जूं नहीं रेंग रही और राजनीतिक दलों ने इस मामले में गहरी नींद से जागने से इनकार कर दिया है. न्यायालय ने कहा कि भारत की राजनीतिक प्रणाली का दिन-प्रतिदिन अपराधीकरण बढ़ रहा है.More Related News