Subsidy News: शहरी लोग भी खेती के इन तरीकों से कमाएं मुनाफा, सरकार दे रही बंपर सब्सिडी
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बिहार सरकार छत पर बागवानी योजना के अंतर्गत 50,000 ₹ इकाई लागत पर 50 प्रतिशत की सब्सिडी दे रही है. इच्छुक लोग बिहार हॉर्टिकल्चर विभाग की ऑफिशियल वेबसाइट पर जाकर इस योजना के लिए अप्लाई कर सकते हैं. इस योजना के लिए आवेदन 26 अक्टूबर से शुरू हो चुका है.
Rooftop Farming Subsidy: खेती-किसानी में नई-नई तकनीकें आ गई हैं. इन तकनीकों का उपयोग कर किसान बढ़िया मुनाफा भी कमा रहे हैं. हाल-फिलहाल के वर्षों में छत पर बागवानी करने का चलन बढ़ा है. सरकार भी इस तरह की खेती को प्रोत्साहित कर रही है. यह खेती उन लोगों के लिए वरदान साबित हुई है जो किसानी करने को इच्छुक तो हैं, लेकिन उनके पास जमीन नहीं है.
50 प्रतिशत की सब्सिडी
बिहार सरकार छत पर बागवानी योजना के अंतर्गत 50,000 ₹ इकाई लागत पर 50 प्रतिशत की सब्सिडी दे रही है. अगर हिसाब लगाएं तो इस योजना के लिए अप्लाई करने वाले व्यक्ति को 25 हजार रुपये दिए जाएंगे. पटना के शहरी क्षेत्र के लोगों को इस योजना के तहत प्राथमिकता दी जाएगी. इच्छुक लोग बिहार हॉर्टिकल्चर विभाग की ऑफिशियल वेबसाइट पर जाकर इस योजना के लिए अप्लाई कर सकते हैं. इस योजना के लिए आवेदन 26 अक्टूबर से शुरू हो चुका है.
इस तरीके से करें छत पर खेती
बता दें कि छत पर सब्जियां उगाकर शहरी क्षेत्र के लोग भी बढ़िया मुनाफा कमा सकते हैं. पालक आलू, टमाटर, हरी मिर्च, पुदीना, तोरई, भिंडी जैसे हरी सब्जियां बड़े ही आसानी से छत पर उगाया जा सकता है. इन सब्जियों को छतों पर उगाने के दो तरीके हैं.पहला तरीका है ऑर्गेनिक, इसमें सब्जियों को बोरी, ट्रे और मटके और गमलों में मिट्टी के अंदर लगाया जाता है. इसके विकास के लिए जैविक खाद का प्रयोग किया जाता है.
हाइड्रोपोनिक तकनीक से भी छतों पर सब्जियां उगाई जा सकती हैं. इस तकनीक की खासियत है कि इसमें पौधों को लगाने के लिए मिट्टी की आवश्यकता ही नहीं पड़ती. इसमें पानी की सहायता से फल और सब्जियां उगाई जाती हैं. इसके अलावा जलवायु नियंत्रण की जरूरत नहीं होती है. हाइड्रोपोनिक खेती करने के लिए करीब 15 से 30 डिग्री तापमान की आवश्यकता होती है. इसमें 80 से 85 प्रतिशत आर्द्रता वाली जलवायु में इसकी खेती सफलतापूर्वक की जा सकती है.
अश्विनी वैष्णव ने कहा कि आज देश में डिफेंस और रेलवे ये दो ऐसे सेक्टर हैं जिनके राजनीतिकरण से बचते हुए आगे बढ़ने की जरूरत है. ये देश की ताकत हैं. रेलवे का पूरा फोकस गरीब और मिडल क्लास परिवारों पर. एसी और नॉन एसी कोच के रेशियो को मेंटेन किया गया. जब कई सदस्यों की ओर से जनरल कोच की डिमांड आई तो 12 कोच जनरल कोच बनाए जा रहे हैं. हर ट्रेन में जनरल कोच ज्यादा हो, इस पर काम किया जा रहा है.