सिस्टम ने ली AI इंजीनियर की जान या पत्नी की प्रताड़ना से था परेशान? जांच के लिए जौनपुर पहुंची बेंगलुरु पुलिस
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34 साल के इंजीनियर अतुल सुभाष ने आत्महत्या कर ली. अतुल ने खुद पर दहेज उत्पीड़न से लेकर हत्या समेत 9 मामले दर्ज करने से लेकर सुसाइड के लिए उकसाने तक का आरोप अपनी पत्नी निकिता सिंघानिया, सास निशा, ससुर अनुराग और पत्नी के चाचा सुशील पर लगाया.
कुछ नहीं बदलने वाला. ना ये सिस्टम, ना सिस्टम की सोच. ना पुलिस का रवैया. ना न्याय प्रणाली की रफ्तार. ना सुधरेगा भ्रष्टाचार. कुछ भी इसलिए नहीं बदलेगा, क्योंकि हमारे देश में एक दिन अचानक जागकर फिर लंबी गहरी नींद में सो जाने वाली सोच समाज में फैली है. जिसे क्रांति तो चाहिए लेकिन अपने घर से नहीं. इसी सोच की वजह से सिस्टम जस का तस बना रहता है. नतीजा एक दिन अचानक अतुल सुभाष नाम के AI इंजीनियर की मौत से समाज की नींद टूटती है.
अतुल सुभाष ने खुदकुशी से 24 पन्नों का सुसाइड नोट लिखा है. 81 मिनट का वीडियो बनाया है. इनमें उन्होंने अपनी पूरी व्यथा कथा कह डाली है. उन्होंने सुसाइड नोट में लिखा, "मेरे ही टैक्स के पैसे से ये अदालत, ये पुलिस और पूरा सिस्टम मुझे और मेरे परिवार और मेरे जैसे और भी लोगों को परेशान करेगा. और मैं ही नहीं रहूंगा तो ना तो पैसा होगा और न ही मेरे माता-पिता, भाई को परेशान करने की कोई वजह होगी.'' अतुल को लगता है कि उनको या उनके जैसे लोगों को न्याय मिलेगा?
मंगलवार से ही चर्चा में आई देश की इस खबर को यदि आप अभी सुन या देख रहे हैं तो आपको बता दें कि 34 साल के इंजीनियर अतुल सुभाष ने आत्महत्या कर ली. अतुल ने खुद पर दहेज उत्पीड़न से लेकर हत्या समेत 9 मामले दर्ज करने से लेकर सुसाइड के लिए उकसाने तक का आरोप अपनी पत्नी निकिता सिंघानिया, सास निशा, ससुर अनुराग और पत्नी के चाचा सुशील पर लगाया. इसके साथ ही फैमिली कोर्ट की जज और पेशकार तक पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया.
मौत से पहले अतुल सुभाष ने अंतिम इच्छा के तौर पर लिखा है कि उनसे जुड़े केस की सुनवाई लाइव हो ताकि लोगों को केस की सच्चाई पता चले, केस जौनपुर से बेंगलुरु कोर्ट में ट्रांसफर किया जाए, क्योंकि जज रीता कौशिक वहां केस पर असल डाल सकती हैं, जब तक सताने वालों को सजा नहीं मिल जाती अस्थियों को ना बहाया जाए. यदि अदालत इंसाफ ना दे पाए तो अस्थियों को उसी अदालत के बाहर किसी गटर में बहा दिया जाए. गुनहगारों से समझौता नहीं सजा दी जाए.
सॉरी अतुल सुभाष! कुछ भी नहीं बदलने वाला!
क्या जो आरोप लगे हैं उसके आधार पर जांच करके अतुल सुभाष को न्याय मिलेगा? या फिर कल, आज और कल या फिर कुछ दिन और सब चर्चा करके भूल जाएंगे? सॉरी अतुल सुभाष! कुछ भी नहीं बदलने वाला! जिन माता-पिता और परिवार को सिस्टम के क्रूर पंजों से बचाने के लिए अतुल अपनी जान दे गए, क्या वो बुजुर्ग अब न्याय पाएंगे? मां बेंगलुरु में श्मशान घाट पर अपने बेटे के अंतिम संस्कार के वक्त खुद को संभाल नहीं पाईं. पूरी रात रोते बीती. एयरपोर्ट पर बेहोश हो गईं.
अश्विनी वैष्णव ने कहा कि आज देश में डिफेंस और रेलवे ये दो ऐसे सेक्टर हैं जिनके राजनीतिकरण से बचते हुए आगे बढ़ने की जरूरत है. ये देश की ताकत हैं. रेलवे का पूरा फोकस गरीब और मिडल क्लास परिवारों पर. एसी और नॉन एसी कोच के रेशियो को मेंटेन किया गया. जब कई सदस्यों की ओर से जनरल कोच की डिमांड आई तो 12 कोच जनरल कोच बनाए जा रहे हैं. हर ट्रेन में जनरल कोच ज्यादा हो, इस पर काम किया जा रहा है.