
National Broadcasting Day 2021: जानिए क्या है, हिंदुस्तान में रेडियो प्रसारण का अतीत और वर्तमान
Zee News
मुल्क में रेडियो प्रसारण की शुरुआत मुंबई और कोलकाता में 23 जुलाई सन 1927 में दो निजी ट्रांसमीटरों से की गई. उस वक्त इस सेवा का नाम भारतीय प्रसारण सेवा (इंडियन ब्राडकास्टिंग कारपोरेशन) रखा गया था.
नई दिल्लीः मुल्क में आज एफएम और निजी रेडियो चैनलों को वर्चस्व है. ये आज घर-घर तक पहुंच चुके हैं. एफएम रेडियो और मोबाइल ने इनका रीच बढ़ाने में सबसे अहम भूमिका नभाया है. ये लोगों का खूब मनोरंजन करते हैं, लेकिन एक वक्त था, जब समाचार और मनोरंजन का एकमात्र साधन रेडियो और दूरदर्शन ही हुआ करते थे. आकाशवाणी का कायम आज ही के दिन यानी 23 जुलाई 1927 में किया गया था. उस वक्त इस सेवा का नाम भारतीय प्रसारण सेवा (इंडियन ब्राडकास्टिंग कारपोरेशन) रखा गया था. मुल्क में रेडियो प्रसारण की शुरुआत मुंबई और कोलकाता में सन 1927 में दो निजी ट्रांसमीटरों से की गई. 1930 में इसका राष्ट्रीयकरण हुआ और 1957 में इसका नाम बदल कर आकाशवाणी रखा गया. सरकारी प्रसारण इदारों को स्वायत्तता देने के इरादे से 23 नवंबर 1997 को प्रसार भारती का गठन किया गया, जो देश की एक सार्वजनिक प्रसारण संस्था है और इसमें मुख्य रूप से दूरदर्शन और आकाशवाणी को शामिल किया गया है दुनिया का सबसे बड़ा ब्राॅडकास्टिंग इदारा है आकाशवाणी देश का सबसे बड़ा प्रसारणकर्ता आकाशवाणी एक ऑटोनोमस इदारा है, जिसका गठन एक संसदीय कानून के तहत किया गया है. इससे पहले यह सूचना और प्रसारण मंत्रालय के मातहत काम करता था. मौजूदा वक्त में आकाशवाणी के लगभग 414 घरेलू चैनल हैं जो देश भर में फैले हुए हैं. इन चैनलों की पहुंच लगभग मुल्क के 92 फीसदी भूभाग और 99.19 फसदी इंसानी आबादी तक है. ऑल इंडिया रेडियो 23 भाषाओं और 146 बोलियों में अपने प्रोग्राम प्रसारित करता है. भाषा की लिहाज से ऑल इंडिया रेडियो दुनिया का सबसे बड़ा ब्राॅडकास्टिंग इदारा है. यह देश के सांस्कृतिक विविधता का प्रतीक है. इसका मकसद अवाम को खबर देना, उन्हें शिक्षित करना और उनका मनोरंजन करना है.More Related News