
Mansukh Hiren Death Case: कैसे सुलझी मनसुख हिरेन के मर्डर की गुत्थी, ATS ने एक-एक कर ऐसे जोड़े तार
Zee News
महाराष्ट्र एटीएस (Maharashtra ATS) के सूत्रों के मुताबिक 4 मार्च की रात 8 बजे से लेकर रात 8.30 तक मनसुख हिरेन (Mansukh Hiren) को कई व्हाट्सएप कॉल आये थे. ATS ने उस वक्त के ठाणे घोडबंदर इलाके के डंप डेटा को निकाला जिसमें करीब 1000 नम्बरों की जांच की गई.
मुंबई: महाराष्ट्र ATS की टीम ने दो लोगों को मनसुख हिरेन की हत्या के मामले (Mansukh Hiren Death Case) में गिरफ्तार कर कोर्ट के सामने पेश किया. इनमें से एक विनायक शिंदे है जो पहले ही लखन भैया फेक एनकाउंटर में दोषी है और पैरोल पर बाहर है. इसके साथ ही ATS ने नरेश गोर नाम के एक बुकी को भी गिरफ्तार किया है. तीसरा सबसे महत्वपूर्ण नाम है सचिन वझे (Sachin Vaze). सचिन वझे ने मनसुख हिरेन की मौत के मामले में हमेशा ये साबित करने की कोशिश की कि जब मनसुख हिरेन की मौत हुई उस वक्त वो मुंबई के डोंगरी इलाके में एक बार पर रेड कर रहा था. इसके लिए डोंगरी पुलिस स्टेशन में स्टेशन डायरी में इसकी रजिस्ट्री भी की गई, जिसके मुताबिक रात 11. 50 मिनट पर रेड शुरू हुई और रात 2.20 पर खत्म हुई. 19 मार्च को ATS ने कोर्ट में भी यही बताया था कि सचिन वझे (Sachin Vaze) सबूतों से लगातार ये बताने की कोशिश में जुटा था कि मनसुख हिरेन (Mansukh Hiren) की मौत के वक्त वो मौजूद नहीं था. 4 मार्च को जब मनसुख हिरेन मारा गया, CDR के मुताबिक उस वक्त सचिन वझे को न किसी का फोन आया था, न उसने किसी को कॉल किया था. महज 4 मैसेज आये थे, ये भी मार्केटिंग कंपनियों के थे. ये सब जांच को दिशा से भटकाने के लिए किया गया था. ये सब एक साजिश का हिस्सा था, जिसे महाराष्ट्र ATS ने कई बड़े टेक्निकल एक्सपर्ट्स की मदद से बेनकाब कर दिया है.More Related News