Exclusive: YEIDA भूमि अधिग्रहण मामले में किसानों को SC से बड़ी राहत; 64.7 फीसदी अतिरिक्त मुआवजा देने का आदेश
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यमुना अथॉरिटी के लिए वरिष्ठ वकील के. सुंदरम पेश हुए जबकि भारतीय किसान यूनियन (लोकशक्ति) के लिए वकील डॉ. सुरत सिंह पेश हुए थे और अपनी-अपनी दलीलें रखीं थी. वकील सूरत सिंह ने कोर्ट में कहा था कि इलाहाबाद हाईकोर्ट में बिल्डरों ने किसानों को पार्टी नहीं बनाया था.
नई दिल्लीः साल 2007-10 में यमुना एक्सप्रेसवे इंडस्ट्रियल डवलपमेंट ऑथोरिटी (YEIDA) के लिए हुए भूमि अधिग्रहण को लेकर किसानों को अतिरिक्त मुआवजा देने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को अहम फैसला सुनाया. जस्टिस एल नागेश्वर राव और जस्टिस बीआर गवई की दो जजों की बेंच ने किसानों को बड़ी राहत देते हुए 64.7 प्रतिशत अतिरिक्त मुआवजा देने का आदेश दिया. इससे अब करीब 10 हजार से अधिक किसानों को लगभग 5398 करोड़ का अतिरिक्त मुआवजा मिल सकेगा. भारतीय किसान यूनियन (लोकशक्ति) के वकील डॉ. सुरत सिंह ने ज़ी मीडिया से Exclusive बातचीत में बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस फैसले को रद्द कर दिया है, जिसमें बिल्डर्स ने सरकार के 64.7 प्रतिशत अतिरिक्त मुआवाजे की नीति को चुनौती दी थी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यूपी सरकार और YEIDA की नीति जनता के हित में है और इसको हम कानूनी रूप से सही ठहराते हैं. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से 10 हजार से अधिक किसानों को लाभ मिलेगा, जिसके लिए वे पिछले 15 साल से कानूनी लड़ाई लड़ रहे थे. आपको बता दें कि 26 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने सभी पक्षों को सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था.
यमुना अथॉरिटी के वकील ने रखी अपनी दलील
Tax-Free State of India: भारत में आयकर एक प्रत्यक्ष कर है जो भारत सरकार द्वारा व्यक्तियों, व्यवसायों और अन्य संस्थाओं द्वारा अर्जित आय पर लगाया जाता है. यह कर आयकर अधिनियम, 1961 के प्रावधानों के अनुसार एकत्र किया जाता है और वित्त मंत्रालय के तहत केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड द्वारा प्रशासित किया जाता है.