
DNA Analysis: अफगानिस्तान में पश्तूनों के बीच घुस गए थे Netaji Subhas Chandra Bose, कोलकाता से Kabul जाने की कहानी
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नेताजी सुभाष चंद्र बोस (Netaji Subhas Chandra Bose) भेष बदलकर कलकता से काबुल गए और फिर वहां से सोवियत संघ के रास्ते जर्मनी पहुंचे. इसके बाद वहां से भारत की आजादी की लड़ाई को एक नई दिशा और नई ऊर्जा दी.
नई दिल्ली: हमारे देश में कुछ लोग तालिबानियों की तुलना अंग्रेजों के खिलाफ आजादी की लड़ाई लड़ने वाले क्रांतिकारियों से कर रहे हैं, लेकिन आज ये लोग चाहकर भी कुछ दिन काबुल (Kabul) में नहीं गुजार पाएंगे, क्योंकि वहां तालिबान इनका स्वागत गोलियों से करेगा. आज हम आपको भारत के एक ऐसे क्रांतिकारी की कहानी बता रहे हैं, जो भेष बदलकर कलकता से काबुल गए और फिर वहां से सोवियत संघ के रास्ते जर्मनी पहुंचे. इसके बाद वहां से भारत की आजादी की लड़ाई को एक नई दिशा और नई ऊर्जा दी. इस क्रांतिकारी नेता का नाम नेताजी सुभाष चंद्र बोस (Netaji Subhas Chandra Bose) था. साल 1945 में नेता जी सुभाष चंद्र बोस (Netaji Subhas Chandra Bose) का ताइवान में एक विमान दुर्घटना में हो गया था. भारत सरकार के आधिकारिक रिकॉर्ड के मुताबिक नेताजी सुभाष चंद्र बोस की मृत्यु ताइवान में विमान दुर्घटना में हुई थी, लेकिन इसमें कितनी सच्चाई है, इसको लेकर आज भी कई सवाल और शंकाएं हैं. नेता जी ना सिर्फ एक क्रांतिकारी थे, बल्कि वो अंग्रेजों को उन्हीं के खेल में मात देना भी जानते थे. इसी से डरकर अंग्रेजों ने जुलाई 1940 में नेता जी को कलकत्ता की जेल में बंद कर दिया था.More Related News