'2021 में दुनिया के कुल ट्रांजैक्शन में से 49 फीसदी भारत में', इंडिया टुडे कॉनक्लेव में बोले इन्वेस्ट इंडिया के MD
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साल 2021 में दुनियाभर में कुल जितने रियल टाइम ट्रांजैक्शन हुए हैं, उनमें से 49 फीसदी ट्रांजैक्शन अकेले भारत में हुए हैं. इन्वेस्ट इंडिया के एमडी दीपक बागला ने इसे लेकर कहा है कि अगर कनाडा, अमेरिका, यूके, फ्रांस और जर्मनी का कुल रियल टाइम ट्रांजैक्शन जोड़ लें तो भी यह भारत के मुकाबले कम है.
India Today Conclave Mumbai: इंडिया टुडे कॉन्क्लेव के दूसरे दिन शनिवार को देश में तेजी से पैर पसार रहे डिजिटल कॉमर्स और उसके भविष्य पर चर्चा हुई. इस दौरान 'डेमोक्रेटाइजिंग द फ्यूचर ऑफ डिजिटल कॉमर्स' सेशन में इन्वेस्ट इंडिया के एमडी और सीईओ दीपक बागला, ओएनडीसी के सीईओ टी कोशी और नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया के सीईओ दिलीप असबे ने ई-कॉमर्स सेक्टर की उपलब्धियों और इसके भविष्य पर अपनी बेबाकी से अपनी राय रखी.
देश में यूपीआई रिवोल्यूशन को लेकर एक सवाल पर नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया के एमडी और सीईओ दिलीप असबे ने कहा कि देश में जिस तरह से डिजिटल पेमेंट के लिए क्यूआर कोड का इस्तेमाल लगातार बढ़ रहा है, उसमें स्मार्टफोन की बड़ी भूमिका है.
उन्होंने कहा कि यूपीआई सिस्टम ने देश में क्रांति ला दी है. अकेले अक्टूबर के महीने में सात अरब से ज्यादा यूपीआई ट्रांजैक्शन हुए हैं. आज से पांच-छह साल पहले जब यह चीजें शुरू हुई थीं तो किसी को इसकी ग्रोथ का अंदाजा नहीं था. यह प्रधानमंत्री मोदी का विजन था कि पेमेंट के लिए बाहरी एजेंसी पर निर्भर रहने की बजाए घरेलू पेमेंट सिस्टम को तरजीह दी जाए.
शुरुआत में यूपीआई को खारिज किया गया था
ओपन नेटवर्क फॉर डिजिटल कॉमर्स (ओएनडीसी) के सीईओ टी कोशी ने कहा कि यूपीआई की शुरुआत हुई थी तो फाइनेंशियल सेक्टर की ही कुछ बड़ी कंपनियों ने इसे खारिज कर दिया था. उन्होंने कहा था कि वे यूपीआई का इस्तेमाल नहीं करना चाहते और यह कारगर सिद्ध नहीं हो पाएगा. लेकिन अब उन्हें अहसास होता है कि वह एक गलती थी. उन्होंने कहा कि ई-कॉमर्स सेक्टर में अभी भी 6 से 7 फीसदी पेनेट्रेशन की गुंजाइश है.
2021 में दुनियाभर में हुए कुल ट्रांजैक्शन में से 49 फीसदी भारत में हुए
अश्विनी वैष्णव ने कहा कि आज देश में डिफेंस और रेलवे ये दो ऐसे सेक्टर हैं जिनके राजनीतिकरण से बचते हुए आगे बढ़ने की जरूरत है. ये देश की ताकत हैं. रेलवे का पूरा फोकस गरीब और मिडल क्लास परिवारों पर. एसी और नॉन एसी कोच के रेशियो को मेंटेन किया गया. जब कई सदस्यों की ओर से जनरल कोच की डिमांड आई तो 12 कोच जनरल कोच बनाए जा रहे हैं. हर ट्रेन में जनरल कोच ज्यादा हो, इस पर काम किया जा रहा है.