
हिजाब पर मचे विवाद के बीच खड़े हो रहे हैं कई सारे सुलगते सवाल
Zee News
क्या हमें उन वस्त्रों को चुनना चाहिए जो देश के सारे बच्चों को बराबर का हक़ देता है या फिर उन वस्त्रों को जो उन्हें तथाकथित धर्म के आधार पर बाकी बच्चों से अलग करता है. जो वस्त्र हमें अपने आप को छुपाने का ज्ञान देता हो, वह सुनिश्चित ही हमें कमजोर और लाचार बनाता है.
नई दिल्ली: देश भर में फैले हिजाब विवाद के बीच प्रश्न यह है कि शिक्षा को आगे रखा जाए या फिर धार्मिक संस्थाओं के मूल्यों को. वैसे भी भारत को साहित्य का देश कहा जाता है. साहित्य का सही मतलब होता है जो सब के हित में बात करे. अगर यह सत्य है तो प्रश्न यह भी है की बच्चों के हित में क्या सही है. हमें उन वस्त्रों को चुनना चाहिए जो देश के सारे बच्चों को बराबर का हक़ देता है या फिर उन वस्त्रों को जो उन्हें तथाकथित धर्म के आधार पर बाकी बच्चों से अलग करता है. जो वस्त्र हमें अपने आप को छुपाने का ज्ञान देता हो, वह सुनिश्चित ही हमें कमजोर और लाचार बनाता है.
यह कदम 'एकरूपता' सुनिश्चित करने के लिए है कर्नाटक के उडुपी जिले स्थित यूनिवर्सिटी कॉलेज संस्थान के परिसर में हिजाब पहनने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है. प्रशासन का दावा है कि यह कदम 'एकरूपता' सुनिश्चित करने के लिए है. कर्नाटक सरकार ने शनिवार को यह भी कहा है कि "समानता, अखंडता और सार्वजनिक कानून व्यवस्था को बिगाड़ने वाले कपड़े नहीं पहनने चाहिए". और तनाव को दूर करने के लिए "केसरिया स्कार्फ" पर भी प्रतिबंध लगा दिया है.