
सीवर की सफाई के दौरान पिछले 28 साल में 941 लोगों ने गंवाई जानः सरकार
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मंत्री ने यह भी कहा कि 2013 से मैला ढोने में लगे लोगों के सर्वेक्षण के आधार पर 58,098 व्यक्तियों को एकमुश्त 40,000 रुपये की नकद सहायता का भुगतान किया गया है.
नई दिल्लीः देश में हाथ से मैला ढोने से कोई मौत नहीं हुई है, लेकिन 1993 से अब तक 941 लोगों की मौत सीवर और सेप्टिक टैंक की सफाई के दौरान हुई है. ये जानकारी बुधवार को संसद को दी गई. मैनुअल मैला ढोने वाले (अस्वच्छ शौचालयों से गंदगी को उठाना) के कारण किसी भी मौत की सूचना नहीं है, जैसा कि मैनुअल स्कैवेंजर्स और उनके पुनर्वास अधिनियम, 2013 के रूप में रोजगार के निषेध की धारा 2 (1) (जी) के तहत परिभाषित किया गया है, लेकिन 941 मौतें 1993 से सीवरों और सेप्टिक टैंकों की सफाई करते हुए हुए हैं. अठावले ने सदन को बताया सामाजिक न्याय और अधिकारिता राज्य मंत्री रामदास अठावले ने एक लिखित उत्तर में राज्यसभा को बताया कि इनमें से राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी आयोग (एनसीएसके) ने राज्य सरकारों द्वारा 650 मामलों में पूर्ण मुआवजे और 142 में आंशिक मुआवजे का भुगतान सुनिश्चित किया है. झारखंड से किसी की मौत की सूचना नहीं है.More Related News