सिर्फ 12 मीटर दूर थे मजदूर, फिर फेल हो गई ऑगर मशीन... अब इन 2 प्लान पर हो रहा काम
AajTak
उत्तरकाशी की सुरंग के अंदर रेस्क्यू ऑपरेशन में जुटी ऑगर मशीन के पुर्जें टूटकर बिखरे पड़े हैं. सुरंग में सुराग करना था. लेकिन पुर्जे टूट-फूट गए. मलबे में दबे लोहे के सरिए के जाल में ऑगर के पुर्जे फंसे तो नाकाम हो गए. इसके चलते अब रेस्क्यू टीम दूसरे प्लान पर काम करेगी.
उत्तरकाशी में 12 नवंबर से सुरंग के अंदर मौत से लड़ाई चल रही है. सुरंग के घुप्प अंधेरे में 41 मजदूरों की जिंदगी के रास्ते में मौत रूपी मलबा खड़ा है. उसी से टकराकर बचाने की जद्दोजहद जारी है. हर दिन सुबह उम्मीद के साथ शुरू हो रही है, और शाम नाउम्मीदी में गुजर जा रही है. फंसे हुए लोगों को बचाने के लिए सुरंग में 800 मिमी चौड़े स्टील पाइप 46.8 मीटर तक ड्रिल किए गए. अनुमान है कि ढहा हुआ हिस्सा लगभग 60 मीटर लंबा है. यानी मजदूर सुरंग में 60 मीटर दूर फंसे हैं. रेस्क्यू टीम ने काफी अंदर तक ड्रिलिंग कर ली और मजदूर सिर्फ 12 मीटर ही दूर थे और अमेरिका से आई ऑगर मशीन फेल हो गई.
माना जा रहा था कि अमेरिकी ऑगर मशीन मलबे में ड्रिंलग का काम जल्द पूरा करेगी और मजदूर निकाल लिए जाएंगे. लेकिन सुबह-सुबह ऐसी खबर आई जो पूरे देश को मायूस कर गई. मलबे को बेध पाने में ऑगर मशीन नाकाम रही. उसका ब्लेड टूट गया. मशीन बेदम हो गई. सुरंग के अंदर रेस्क्यू ऑपरेशन में जुटी ऑगर मशीन के पुर्जें टूटकर बिखरे पड़े हैं. सुरंग में सुराग करना था. लेकिन पुर्जे टूट-फूट गए. मलबे में दबे लोहे के सरिए के जाल में ऑगर के पुर्जे फंसे तो नाकाम हो गए. इसके चलते अब रेस्क्यू टीम दूसरे प्लान पर काम करेगी.
सॉफ्टकटिंग मशीन भी हो गई थी फेल
ऐसा पहली दफा नहीं हुआ. 12 नवंबर को हादसे के बाद सॉफ्टकटिंग मशीन लगाई गई थी. उससे सुरंग की दीवारों पर कंट्रीट स्प्रे किया गया था. ड्रिल भी हुआ. लेकिन नाकामी हाथ लगी. तब 13 नवंबर ऑगर मशीन को सुरंग के काम में लगाया गया. हालांकि वो मशीन भी जवाब दे गई. रेस्क्यू तेज करने के लिए 17 नवंबर को अमेरिकी ऑगर मशीन लाई गई. 21 नवंबर को उसमें भी दिक्कत आ गई. ड्रिलिंग के दौरान मलबे में रॉड मिला और काम रूक गया.
इसके बाद दिल्ली से सिलक्यारा पहुंचे 7 विशेषज्ञों ने सूझबूझ से रॉड को काटा और दोबारा ड्रिलिंग शुरू हुई. लेकिन अब अमेरिकी ऑगर मशीन का ब्लेड फिर से टूट गया है. उसका पाइप मुड़ गया है. अमेरिका से आए एक्सपर्ट ने भी साफ कह दिया है कि अब ऑगर मशीन पूरी तरह टूट चुकी हैल और इसे ठीक नहीं किया जा सकता है. ऑगर मशीन से आगे की ड्रिलिंग करना संभव नहीं है.
अश्विनी वैष्णव ने कहा कि आज देश में डिफेंस और रेलवे ये दो ऐसे सेक्टर हैं जिनके राजनीतिकरण से बचते हुए आगे बढ़ने की जरूरत है. ये देश की ताकत हैं. रेलवे का पूरा फोकस गरीब और मिडल क्लास परिवारों पर. एसी और नॉन एसी कोच के रेशियो को मेंटेन किया गया. जब कई सदस्यों की ओर से जनरल कोच की डिमांड आई तो 12 कोच जनरल कोच बनाए जा रहे हैं. हर ट्रेन में जनरल कोच ज्यादा हो, इस पर काम किया जा रहा है.