
शाहीनबाग से उठी मुस्लिमों के हक की आवाज, पसमांदा मुसलमानों ने रख दी ऐसी मांग.........
Zee News
दिल्ली के शाहीनबाग में पसमांदा मुसलमानों के अधिकारों के लिए एक सम्मेलन का आयोजन किया गया. इस कार्यक्रम में पसमांदा मुसलमानों से जुड़ी समस्याओं और उपायों पर विचार विमर्श किया गया.
नई दिल्ली: राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के शाहीनबाग इलाके में पसमांदा मुसलमानों (Pasmanda Muslims) के विभिन्न संगठनों ने उनके विकास और उत्थान के लिए एक दिन का राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया. इस सम्मेलन में उपस्थित होने वाले ज्यादातर वक्ताओं ने अपने भाषण में इस बात पर जोर दिया कि आजादी के बाद से ही पसमांदा मुसलमानों को उनके अधिकारों से दूर रखा गया है.
पसमांदा, एक फारसी भाषा का शब्द है. जिसका मतलब है वो लोग जो पीछे छूट गए हों. भारत मे पसमांदा, मुस्लिम समाज के उस वर्ग से ताल्लुक रखता है जिनको कि मुस्लिमों का दलित वर्ग भी कहा जाता है. मुस्लिम समाज में जातिगत ढांचे को इतिहासकारों और मुस्लिम जानकारों ने 3 वर्गों में बांटा है. पहला वर्ग अशरफ मुसलमानों का है जिसमें सैयद शेख, मुगल और पठान आदि आते हैं. जिनकी कुल भारतीय मुसलमानों में हिस्सेदारी मात्र 15% है. दूसरा वर्ग अजलफ मुसलमानों का है जिनमें उन जातियों के मुसलमानों को रखा जाता है जो सामाजिक कार्य करते हैं. जैसे बाल काटना, कपड़े धोना, कपड़े सिलना, आदि. तीसरे दर्जे के रूप में रजल मुसलमान हैं, जो उन जनजातियों से आए माने जाते हैं जो दोयम दर्जे या अछूत जातियों में जाने जाते है.