वो राजा, जिन्होंने भारत के आखिरी चीतों का कर दिया था शिकार, जानिए देश में कैसे खत्म हुए चीते
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दक्षिण अफ्रीका से 12 चीते भारत लाए जा रहे हैं. इनमें 7 नर चीता और 5 मादा चीता हैं. इन्हें आज यानी 18 फरवरी को मध्य प्रदेश के श्योपुर जिले में स्थित कूनो नेशनल पार्क में छोड़ा जाएगा. इससे पहले नामीबिया से 8 चीते लाए गए थे. इन्हें भी कूनो नेशनल पार्क में छोड़ा गया था. भारत में चीते विलुप्त हो चुके थे, इसलिए उनकी दोबारा बसाहट के मद्देनजर उन्हें यहां लाया जा रहा है. ऐसे में सवाल उठता है कि एक समय में चीतों के बहुतायत वाले भारत में ये विलुप्त कैसे हो गए हैं.
नई दिल्लीः दक्षिण अफ्रीका से 12 चीते भारत लाए जा रहे हैं. इनमें 7 नर चीता और 5 मादा चीता हैं. इन्हें आज यानी 18 फरवरी को मध्य प्रदेश के श्योपुर जिले में स्थित कूनो नेशनल पार्क में छोड़ा जाएगा. इससे पहले नामीबिया से 8 चीते लाए गए थे. इन्हें भी कूनो नेशनल पार्क में छोड़ा गया था. भारत में चीते विलुप्त हो चुके थे, इसलिए उनकी दोबारा बसाहट के मद्देनजर उन्हें यहां लाया जा रहा है. ऐसे में सवाल उठता है कि एक समय में चीतों के बहुतायत वाले भारत में ये विलुप्त कैसे हो गए हैं.
1952 में चीता विलुप्त घोषित हुआ था भारत दरअसल, भारत ने 1952 में खुद को चीता विलुप्त घोषित कर दिया था. हालांकि, 1947 में ही भारत चीता मुक्त हुआ था. अब के छत्तीसगढ़ की कोरिया रियासत में 1948 में आखिरी चीते देखे गए थे. यहां के राजा रामानुज प्रताप सिंह देव ने बैकुंठपुर से लगे जंगल में तीनों चीतों का शिकार कर दिया था.