
वीर सावरकर की 'माफी' का सच क्या? गांधी की इस जिद के आगे मानी थी हार
Zee News
हमारे देश के डिजायनर इतिहासकारों ने जिस चश्मे से वीर सावरकर (Vinayak Damodar Savarkar) की क्षमा याचिका को देखा, उस चश्मे से कभी महात्मा गांधी (Mahatma Ganhdi) के फैसलों का अध्ययन नहीं किया और आज भी हमारे देश में यही हो रहा है.
नई दिल्ली: हमारे देश में एक खास वर्ग ऐसा है जो स्वतंत्रता सेनानी वीर सावरकर (Vinayak Damodar Savarkar) को कायर साबित करने पर तुला हुआ है. ये वो वर्ग है जो महात्मा गांधी (Mahatma Ganhdi) को धर्म निरपेक्ष मानता है और सावरकर को सांप्रदायिक मानता है. आजादी के 70 वर्षों तक इस वर्ग ने वीर सावरकर को इतिहास की किताबों में जगह नहीं मिलने दी. अब वीर सावरकर को लेकर ऐसा ही एक नया विवाद शुरू हो गया है. ये विवाद इस दावे पर है कि वीर सावरकर ने महात्मा गांधी के कहने पर अंग्रेजों से माफी मांगी थी.
सावरकर से नफरत करने वाले खास वर्ग से सावरकर और महात्मा गांधी की दोस्ती बर्दाश्त नहीं हो रही और वो इस थ्योरी को गलत ठहरा रहे हैं कि महात्मा गांधी ने कभी वीर सावरकर की मदद करने की कोशिश की थी. इतिहास के तथ्य यह बताते हैं कि सावरकर और महात्मा गांधी के बीच कैसे संबंध थे. 1920 में महात्मा गांधी ने एक लेख भी लिखा था, जिसमें उन्होंने सावरकर का समर्थन किया और अंग्रेजों से उन्हें छोड़ देने की अपील की थी. ये इतिहास के वो तथ्य हैं जो आपको स्कूल और कॉलेजों में कभी नहीं पढ़ाए गए.