
यौन अपराध मामले में राखी बांधने की शर्त पर जमानत देना अस्वीकार्य: सुप्रीम कोर्ट
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न्यायालय का यह फैसला उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ नौ नागरिकों की याचिका पर आया. उच्च न्यायालय ने अपने फैसले में आरोपी को जमानत देने के लिये उसे पीड़िता से राखी बंधवाने की ‘विचित्र’ शर्त रखी थी.
नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने गुरुवार को मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के उस आदेश को ‘एकदम अस्वीकार्य’ बताया, जिसमें यौन अपराध के एक मामले में आरोपी को जमानत देने के लिये पीड़िता से राखी बंधवाने की शर्त रखी गई थी. शीर्ष अदालत ने यौन अपराध के मामलों पर विचार करने के दौरान न्यायाधीशों के पालन के लिये कई निर्देश जारी किये. न्यायालय ने कहा कि कुछ रवैये जैसे कि पीड़िता की पूर्व सहमति, गड़बड़ व्यवहार, कपड़ा और इस तरह की अन्य बातें न्यायिक फैसले में नहीं आनी चाहिये. न्यायालय का यह फैसला उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ नौ नागरिकों की याचिका पर आया. उच्च न्यायालय ने अपने फैसले में आरोपी को जमानत देने के लिये उसे पीड़िता से राखी बंधवाने की ‘विचित्र’ शर्त रखी थी. इन नागरिकों ने शीर्ष न्यायालय से सभी अदालतों को जमानत के लिये ‘अप्रासंगिक, असामान्य और अवैध’ शर्तें लगाने से बचने का निर्देश देने का अनुरोध किया था. न्यायमूर्ति ए एम खानविल्कर और न्यायमूर्ति एस रवींद्र भट्ट की पीठ ने उच्च न्यायालय के फैसले को निरस्त कर दिया और कहा, 'यह अदालत कहती है कि वैसी भाषा या तर्क जो अपराध को खत्म करती है और पीड़िता को महत्वहीन बनाती है उससे सभी परिस्थितियों में बचा जाना चाहिये.'More Related News