
भगत सिंह ने फांसी से पहले सफाईकर्मी को बताई थी आखिरी इच्छा, जो नहीं हो सकी पूरी
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Martyrs Day: क्रांतिकारी भगत सिंह की आज यानी 23 मार्च को पुण्यतिथि है. इसे शहीदी दिवस या बलिदान दिवस के रूप में याद किया जाता है. आजादी के लिए 23 साल की उम्र में फांसी पर झूलने वाले भगत सिंह की आखिरी इच्छा पूरी नहीं हो पाई थी.
नई दिल्लीः Martyrs Day: क्रांतिकारी भगत सिंह की आज यानी 23 मार्च को पुण्यतिथि है. इसे शहीदी दिवस या बलिदान दिवस के रूप में याद किया जाता है. आजादी के लिए 23 साल की उम्र में फांसी पर झूलने वाले भगत सिंह इंकलाब जिंदाबाद और साम्राज्यवाद मुर्दाबाद के नारे लगाते थे. 23 मार्च 1931 को लाहौर सेंट्रल जेल में क्रांतिकारी राजगुरु और सुखदेव के साथ फांसी की सजा पाने वाले भगत सिंह की मृत्यु से पहले आखिरी इच्छा पूरी नहीं हो पाई थी.
कोठरी नंबर 14 में बंद थे भगत सिंह बताते हैं कि भगत सिंह लाहौर सेंट्रल जेल में कोठरी नंबर 14 में बंद थे, जिसका फर्श भी कच्चा था. उस पर घास उगी थी. कोठरी इतनी छोटी थी कि उसमें बमुश्किल भगत सिंह का शरीर आ पाता था. हालांकि, वह जेल की जिंदगी के आदी हो गए थे.