फोन, लूडो के सहारे 14 दिन से फंसे मजदूर... ऑगर मशीन फेल, अब वर्टिकल ड्रिलिंग की तैयारी, जानें- क्या हैं बड़ी चुनौती
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शनिवार को उस वक्त मजदूरों और रेस्क्यू टीम को एक बार फिर निराशा का सामना करना पड़ा, जब रेस्क्यू में लगी अमेरिका से आई ऑगर मशीन के ब्लेड खराब होने से वो नाकाम हो गई. अब माना जा रहा है कि रेस्क्यू टीम के पास वर्टिकल ड्रिलिंग यानी सुरंग के ठीक ऊपर के हिस्से के पहाड़ की खुदाई का विकल्प बचा है. वर्टिकल ड्रिलिंग के लिए भारी भरकम मशीनें पहुंचाई जा रहीं हैं.
तारीख पर तारीख. ये सनी देओल की फिल्म का मशहूर डायलॉग है. ऐसे ही उत्तरकाशी में सुरंग में फंसे मजदूरों के परिवारों को रोज नई-नई डेडलाइन दी जा रही है. 4 दिन से यही खबर आ रही है कि अब सुरंग में फंसे 41 मजदूर बाहर आ जाएंगे. लेकिन रोज मजदूरों और उनके परिवारों को निराशा ही मिल रही है. मजदूरों के रेस्क्यू को लेकर सस्पेंस अब भी बरकरार है. जो उम्मीदें थीं, उस पर फिलहाल पानी फिर गया है.
शनिवार को उस वक्त मजदूरों और रेस्क्यू टीम को एक बार फिर निराशा का सामना करना पड़ा, जब रेस्क्यू में लगी अमेरिका से आई ऑगर मशीन के ब्लेड खराब होने से वो नाकाम हो गई. अब माना जा रहा है कि रेस्क्यू टीम के पास वर्टिकल ड्रिलिंग यानी सुरंग के ठीक ऊपर के हिस्से के पहाड़ की खुदाई का विकल्प बचा है. वर्टिकल ड्रिलिंग के लिए भारी भरकम मशीनें पहुंचाई जा रहीं हैं.
दो प्लान पर काम कर रही थी रेस्क्यू टीम
अब मजदूरों की जिंदगी बचाने के लिए सुरंग के ऊपर से खुदाई की तैयारी है. वर्टिकल ड्रिलिंग के लिए मशीनों को सुरंग के ऊपरी हिस्से पर ले जाया जा रहा है. इससे पहले तक माना जा रहा था कि अमेरिकी ऑगर मशीन मलबे में ड्रिंलिग का काम जल्द पूरा करेंगी और मजदूर निकाल लिए जाएंगे. लेकिन शनिवार सुबह-सुबह ऐसी खबर आई जो पूरे देश को मायूस कर गई. मलबे को भेद पाने में ऑगर मशीन नाकाम रहीं. उसके ब्लेड टूट गए और मशीन बेदम हो गई. मजदूरों को निकालने को लेकर दो प्लान पर एजेंसियां काम कर रही थीं. आइए बताते हैं कि वो प्लान के बारे में-
प्लान -A के तहत अमेरिकन ऑगर मशीन से ड्रिलिंग का काम चल रहा था. ड्रिलिंग मशीन के जरिए 80 सेंटीमीटर मोटाई वाली पाइप को भेजा जा रहा था. लेकिन करीब-करीब 45 से 46 मीटर की दूरी पर जाकर ऑगर मशीन ने काम करना बंद दिया क्योंकि ये मशीन टूट गई, यानी मजदूरों से महज 12 से 15 मीटर की दूरी पर ये काम ठप हो गया. इस प्लान के तहत सिल्क्यारा साइड में मजदूरों को निकालने के लिए मेडिकल की सुविधा थी. टनल के बाहर 41 एंबुलेंस और 40 डॉक्टरों की टीम तैनात थी.
अब आपको प्लान B के बारे में बताते हैं, जिसकी चर्चा जोरों पर है. इस प्लान के तहत टनल में वर्टिकली 86 मीटर की खुदाई होनी है. हालांकि इसको लेकर अबतक रेस्क्यू टीम में जुटी एजेंसियों ने कोई फाइनल फैसला नहीं किया है. लेकिन माना जा रहा है इस प्लान पर आगे बढ़ा जा सकता है. वहीं टनल के दूसरे सिरे से भी हॉरिजॉन्टल खुदाई जारी है. अबतक दूसरे सिरे से खुदाई के लिए 3 ब्लास्ट किए जा चुके हैं.
अश्विनी वैष्णव ने कहा कि आज देश में डिफेंस और रेलवे ये दो ऐसे सेक्टर हैं जिनके राजनीतिकरण से बचते हुए आगे बढ़ने की जरूरत है. ये देश की ताकत हैं. रेलवे का पूरा फोकस गरीब और मिडल क्लास परिवारों पर. एसी और नॉन एसी कोच के रेशियो को मेंटेन किया गया. जब कई सदस्यों की ओर से जनरल कोच की डिमांड आई तो 12 कोच जनरल कोच बनाए जा रहे हैं. हर ट्रेन में जनरल कोच ज्यादा हो, इस पर काम किया जा रहा है.