पीएम मोदी की सुरक्षा में चूक का मामला: तत्कालीन फिरोजपुर SP ने ड्यूटी में बरती थी लापरवाही, पंजाब DGP ने किया सस्पेंड
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यह घटना 5 जनवरी, 2022 की है, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक कार्यक्रम में शामिल होने के लिए बठिंडा से सड़क मार्ग से फिरोजपुर के हुसैनीवाला जा रहे थे. रास्ते में किसानों ने ट्रैक्टर खड़े कर हाइवे बंद कर दिया. कुछ प्रदर्शनकारी काले झंडे लेकर उनकी गाड़ी के काफी करीब पहुंच गए थे.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सुरक्षा में चूक के मामले में पंजाब के डीजीपी गौरव यादव ने कार्रवाई करते हुए फिरोजपुर के तत्कालीन एसपी ऑपरेशन गुरविंदर सिंह सांगा को सस्पेंड कर दिया है. वह फिलहाल बठिंडा में तैनात थे. जांच रिपोर्ट में गुरबिंदर सिंह सांगा को अपनी ड्यूटी में लापरवाही बरतने का दोषी ठहराया गया है. यह घटना 5 जनवरी, 2022 की है, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक कार्यक्रम में शामिल होने के लिए बठिंडा से सड़क मार्ग से फिरोजपुर के हुसैनीवाला जा रहे थे.
रास्ते में किसानों ने ट्रैक्टर खड़े कर हाइवे बंद कर दिया. कुछ प्रदर्शनकारी काले झंडे लेकर उनकी गाड़ी के काफी करीब पहुंच गए थे. पीएम मोदी का काफिला 20 मिनट तक फिरोजपुर में प्यारे आणा फ्लाईओवर पर रुका रहा. तब पीएम मोदी की सुरक्षा में तैनाम एसपीजी ने मोर्चा संभाला. जब रास्ता नहीं खुला तो पीएम मोदी के काफिले को वापस लौटना पड़ा. वह बठिंडा के भिसियाना एयरपोर्ट पहुंचे और वहां से दिल्ली वापस आ गए थे. भिसियाना एयरपोर्ट पर मौजूद अधिकारियों से पीएम मोदी ने कहा था, 'अपने सीएम को धन्यवाद कहना, मैं जिंदा लौट आया हूं'.
गुरबिंदर सिंह सांगा फिरोजपुर एसपी (ऑपरेशन) के पद पर तैनात थे
उस समय गुरबिंदर सिंह सांगा फिरोजपुर एसपी (ऑपरेशन) के पद पर तैनात थे. इस घटना के बाद उनका बठिंडा तबादला कर दिया गया था. पंजाब गृह एवं न्याय विभाग के सचिव गुरकीरत कृपाल सिंह की ओर से जारी निर्देशों पर गुरबिंदर सिंह को निलंबित किया गया है. सस्पेंशन के दौरान वह डीजीपी कार्यालय चंडीगढ़ के साथ अटैच रहेंगे. बिना अनुमति प्राप्त वह डीजीपी मुख्यालय नहीं छोड़ सकेंगे. बता दें कि इस मामले की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट ने एक कमिटी का गठन किया था.
एक साल बाद इस मामले में पंजाब पुलिस की ओर से कार्रवाई हुई है
फिरोजपुर में पीएम की सुरक्षा में चूक के मामले में शीर्ष अदालत द्वारा गठित जांच कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में पंजाब के तत्कालीन मुख्य सचिव अनिरुद्ध तिवारी और डीजीपी सिद्धार्थ चट्टोपाध्याय को दोषी ठहराया था. कमिटी ने अगस्त 2022 में अपनी जांच रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट और केंद्र सरकार को सौंपी दी थी. इस रिपोर्ट के आधार पर केंद्र ने दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए सितंबर 2022 में पंजाब सरकार को पत्र लिखा था. एक साल बाद इस मामले में पंजाब पुलिस की ओर से कार्रवाई की गई है.
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