
पद्मश्री मिलने के बाद छलका कश्मीर के शिल्पकार दर्द, मुझे देर से मिला सम्मान
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संतूर शिल्पकार गुलाम मोहम्मद जाज ने कहा- मैं पद्मश्री पाकर बहुत खुश हूं लेकिन मुझे और अधिक खुशी होती अगर यह पुरस्कार उस समय मिलता जब मेरे दादा, मेरे पिता या मेरे चाचा जीवित होते और वे इन यंत्रों को बना रहे होते.’
श्रीनगर. इस साल पद्म श्री सम्मान के लिए चयनित संतूर शिल्पकार गुलाम मोहम्मद जाज ने अपनी कला को पहचान मिलने ने पर बृहस्पतिवार को प्रसन्नता जताई लेकिन उन्हें कहा कि ऐसा लगता है कि यह सम्मान उन्हें देर से मिला. उन्होंने कहा, ‘मैं पद्मश्री पाकर बहुत खुश हूं लेकिन मुझे और अधिक खुशी होती अगर यह पुरस्कार उस समय मिलता जब मेरे दादा, मेरे पिता या मेरे चाचा जीवित होते और वे इन यंत्रों को बना रहे होते.’ पिछले 200 वर्षों से कश्मीर में बेहतरीन संतूर बनाने वाले परिवार के 8वीं पीढ़ी के संतूर शिल्पकार गुलाम मोहम्मद ज़ाज़ को कला (शिल्प) के क्षेत्र में पद्मश्री से नवाजा जाएगा।
जब तक जिंदा रहूंगा तब तक बनाता रहूंगा संतूर जाज (81) ने अपने घर में कहा, 'मैं उनके सामने कुछ भी नहीं हूं. मैंने जो कुछ भी सीखा, उनसे सीखा.' उन्होंने कहा कि वह संतूर सहित विभिन्न संगीत वाद्ययंत्र बनाते रहेंगे जब तक उनका जीवन रहेगा.