नहीं खत्म हो रहा ओपी राजभर का इंतजार, अब बोले- मेरे लिए मंत्री पद महत्वहीन, पहले से ही तय हैं कुछ चीजें
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ओपी राजभर ने गत 10 सितंबर को विश्वास जताया था कि दारा सिंह चौहान के साथ उन्हें उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री बनाया जाएगा. एसबीएसपी प्रमुख ने 12 नवंबर को भी यही बात दोहराई थी. दारा सिंह चौहान घोसी विधानसभा उपचुनाव हार गए थे.
योगी आदित्यनाथ सरकार में शामिल होने की अटकलों के बीच, सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के प्रमुख ओम प्रकाश राजभर ने शुक्रवार को कहा कि मंत्री पद उनके लिए 'बहुत महत्व नहीं रखता'. जब पत्रकारों ने उनसे पूछा कि क्या वह मंत्री नहीं बनाए जाने के बावजूद राजग के साथ बने रहेंगे? तो इसके जवाब में राजभर ने कहा, 'याद करिए, जब मैं समाजवादी पार्टी के साथ था, तो मैंने कहा था कि भले ही अखिलेश हमारे लिए एक सीट भी न छोड़ें, हम सपा के साथ रहेंगे.'
ओपी राजभर ने गत 10 सितंबर को विश्वास जताया था कि दारा सिंह चौहान के साथ उन्हें उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री बनाया जाएगा. एसबीएसपी प्रमुख ने 12 नवंबर को भी यही बात दोहराई थी. दारा सिंह चौहान घोसी विधानसभा उपचुनाव हार गए थे. सुभासपा चीफ ने कहा, 'मेरी प्रधानमंत्री, केंद्रीय गृह मंत्री और यूपी के मुख्यमंत्री से बात हुई है. कुछ चीजें हैं, जो पहले से ही तय हैं. 2024 (लोकसभा चुनाव) में, हम एनडीए के साथ हैं.'
राजभर बोले- सुभासपा बढ़ रही और सभी 75 जिलों में सक्रिय है
राजभर ने कहा, 'मेरे लिए मंत्री पद का कोई खास महत्व नहीं है...यह सिर्फ एक साधन है. और एक व्यक्ति, जिसने समाज के हित के लिए मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया, उसके लिए मंत्री पद का क्या महत्व है?' उन्होंने कहा, एसबीएसपी राज्य में बढ़ रहा है और सभी 75 जिलों में सक्रिय है. सुभासपा ने 2022 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ा और 6 सीटें जीतीं. उस वर्ष ओपी राजभर की पार्टी ने राष्ट्रपति पद के लिए एनडीए उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू का समर्थन किया, जबकि समाजवादी पार्टी ने विपक्ष की पसंद यशवंत सिन्हा का समर्थन किया.
लोकसभा चुनाव 2019 से पहले BJP और SBSP अलग हो गईं
इस साल जुलाई में सुभासपा ने समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन तोड़ लिया था और औपचारिक रूप से एनडीए में शामिल हो गई. वर्ष 2017 में, एसबीएसपी ने भाजपा के साथ गठबंधन में विधानसभा चुनाव लड़ा और चार सीटें जीती थीं. मुख्यमंत्री के रूप में योगी आदित्यनाथ के पहले कार्यकाल के दौरान ओम प्रकाश राजभर को मंत्री बनाया गया था. हालांकि, 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी और एसबीएसपी की राहें अलग हो गईं. ओपी राजभर की केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात के बाद जुलाई में एसबीएसपी एनडीए में लौट आई थी.
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