
दांवपेंच: एकदम से अचानक जाति आधारित जनगणना की मांग क्यों होने लगी?
Zee News
OBC से जुड़ा अहम निर्णय ले चुकी मोदी सरकार जाति जनगणना को लेकर असमंजस में है. हालांकि अब तक राष्ट्रीय जनगणना प्रक्रिया शुरू नहीं होने के पीछे कोरोना के हालातों को बताया जाता रहा है. दूसरी रोहिणी आयोग की रिपोर्ट का भी इंतजार है लेकिन जाति आधारित राजनीति करने वाले तमाम दल इस मुद्दे पर मुखर होते जा रहे हैं.
नई दिल्ली: जाति आधारित जनगणना (Caste Based Census) के समर्थन में अपनी मुहिम को आगे बढ़ाते हुए बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) के नेतृत्व में राज्य के 10 दलों के प्रतिनिधिमंडल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) से मुलाकात की. तमाम राजनीतिक दल इस मुहिम को और तेज करने की रणनीति पर काम कर रहे हैं तो सरकार का रुख स्पष्ट नहीं है. सरकार की तरफ से आज भी यह नहीं कहा गया कि जाति आधारित जनगणना कब कराई जाएगी, हालांकि आश्वासन जरूर दिया गया है. सरकार की ये चुप्पी और अस्पष्ट रुख कई सवाल खड़े करता है तो सवाल यह भी है कि आखिर इस जनगणना की अचानक से मांग क्यों होने लगी है. पिछले दिनों संसद के मॉनसून सत्र में भी यह मुद्दा उठा. विपक्षी सांसदों ने सदन में कहा, जाति आधारित जनगणना होनी चाहिए और आरक्षण पर 50 प्रतिशत की सीलिंग खत्म की जानी चाहिए. लेकिन केंद्र सरकार का इस मुद्दे पर रुख स्पष्ट नहीं है. केंद्र सरकार में लगातार इस मसले पर विमर्श का दौर चालू है. केंद्र कतई भी जल्दबाजी में नहीं है. इसकी एक वजह देश के सबसे सूबे उत्तर प्रदेश का आगामी विधान सभा चुनाव भी हो सकती है. बीजेपी राम मंदिर निर्माण से लेकर सीएम योगी के जरिए हिंदुत्व के मुद्दे पर मुखर रहना चाहती है. ऐसे में कहीं न कहीं जातिगत जनगणना से जाति आधारित राजनीति करने वाले दलों बढ़त मिल सकती है. यूपी में सपा, बसपा से लेकर NDA से अलग हुए सुभासपा के ओम प्रकाश राजभर भी जाति आधिरत जनगणना की मांग को हवा दे रहे हैं.More Related News