जब पाकिस्तान पर लगे बॉल-टेम्परिंग के आरोप और गुस्से में टीम दोबारा खेलने ही नहीं उतरी
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क्रिकेट के खेल में रफ़ में पड़ने पर, प्रैक्टिस पिच पर बार-बार टप्पा खाने पर, स्टैंड्स में किसी मेटल की या सीमेंट की या किसी और बेहद ठोस जगह टकराने पर गेंद की कंडीशन ख़राब हो जाना बेहद आम बात है. ऐसे में अम्पायर्स गेंद बदल देते हैं. लेकिन इस मौके पर बॉल बदलने के बाद अम्पायर डेरेल हेयर ने पांच पेनाल्टी रनों का इशारा किया जो इंग्लैण्ड की टीम को दिए जा रहे थे. और इसका एक ही मतलब था- अम्पायर की नज़र में पाकिस्तान टीम ने गेंद से छेड़छाड़ की थी. पांच रनों की पेनाल्टी का इशारा देखते ही पाकिस्तान के कप्तान इंज़माम उल हक़ तुरंत अम्पायर के पास पहुंचे.
क्रिकेट के खेल के बारे में एक घिसी-पिटी कहावत चलती है. कि क्रिकेट अनिश्चितताओं का खेल है. हालांकि ये बात ऐसी है कि इससे कोई इनकार भी नहीं कर सकता है. ऐशेज़ सीरीज़ की उत्पत्ति जिस मैच के कारण हुई, वहां से लेकर 1983 में भारत का विश्व कप जीतना और हाल ही में बाउंड्री के आधार पर वर्ल्ड कप की जीत तक, कदम-कदम पर ऐसे मौके आते रहे जिनके बारे में किसी ने भी नहीं सोचा था. लेकिन टेस्ट क्रिकेट के 129 साल के इतिहास में पहली बार एक मौका ऐसा भी आया जब किसी टीम ने टेस्ट मैच इसलिए जीता क्यूंकि सामने वाली टीम ने मैदान पर उतरने से मना कर दिया था. और ये हुआ उसी ज़मीन पर, जिसने क्रिकेट को जना था. इंग्लैण्ड और पाकिस्तान के बीच क्रिकेट से जुड़ी कई ऐसी कहानियां हैं जो बड़ी मज़ेदार हैं. वो चाहे माइक गैटिंग और शकूर राणा की कहानी हो, चाहे पाकिस्तान के एक मैदान में किनारे रखे फ़्रिज का फटना और दिन का खेल ख़त्म होने पर अफ़रीदी का पिच पर जूतों का निशान छोड़ना हो. कितनी ही कहानियां हैं जिन्होंने पाकिस्तान और इंग्लैण्ड के बीच रंग बरकरार रखा है. लेकिन ये टेस्ट एक अलग ही पहचान बना गया. बीते 1,813 मैचों में ऐसा नहीं हुआ था कि सामने वाली टीम मैदान पर ही न उतरी हो और दूसरी टीम को विजेता घोषित कर दिया गया हो.
क्लिक करें: जब अंग्रेज़ कप्तान को पाकिस्तानी अम्पायर ने कहा- “Cheating b*****d” और न्यूट्रल अम्पायरों का नियम शुरू हो गया इंज़माम उल हक़ अपने करियर के आख़िरी पड़ाव पर चल रहे थे. सीरीज़ से पहले बात चल रही थी कि ये इंज़ी का आख़िरी इंग्लैंड टूर होने वाला था. टीम की कमान उन्हीं के हाथ में थी. पहले 3 टेस्ट मैचों में पाकिस्तान 2 मैच हार चुका था और तीसरा ड्रॉ करवाने में कामयाब रहा था. लीड्स में खेला गया पहला मैच तो बेहद नाटकीय रहा. अपनी पहली पारी में पाकिस्तान ने जहां 538 रन बनाये लेकिन दोबारा बैटिंग करते हुए पूरी टीम मात्र 48 ओवर में 155 रनों पर ऑल आउट हो गयी. 3 मैचों के बाद पाकिस्तान के पास एकमात्र पॉज़िटिव यही था कि 2 मैचों में प्लेयर ऑफ़ द मैच पाकिस्तानी बल्लेबाज़ बने थे. पहले मैच में यूनिस खान और तीसरे मैच में मोहम्मद यूसुफ़. मोहम्मद यूसुफ़ ने तो लॉर्ड्स में 202 रन बनाये थे. ये डबल सैकड़ा आया भी बड़े मौके से था. पाकिस्तान के 68 रन पर 4 विकेट गिर चुके थे. और फिर जब यूसुफ़ आउट हुए तो टीम के 445 रन बन चुके थे. खेल पत्रकारिता में एंड्रू मिलर एक बड़ा नाम है. मोहम्मद यूसुफ़ के इस दोहरे शतक के बाद उन्होंने अपने लेख में बताया था कि कैसे यूसुफ़ ने दूसरे जन्म के बाद अपने अंदर एक दूसरे ही बल्लेबाज़ को भी जन्म दिया था. ये दूसरा जन्म असल में यूसुफ़ योहाना से मोहम्मद यूसुफ़ के सफ़र की ओर इशारा कर रहा था. 2006 से ही क्रिकेट के स्कोरबोर्ड्स पर यूसुफ़ योहाना की जगह मोहम्मद यूसुफ़ लिखा जाना शुरू हुआ था. हालांकि बताया ये जाता है कि उससे 3 साल पहले ही उन्होंने ईसाई धर्म छोड़कर इस्लाम क़ुबूल कर लिया था. मोहम्मद यूसुफ़ बनने के बाद से वो आठ टेस्ट मैचों में 83.38 के एवरेज से रन बना रहे थे जिसमें इंग्लैंड के खिलाफ़ दो-दो डबल सेंचुरीज़ शामिल थीं. खैर, गाड़ी वापस उस चौथे और सीरीज़ के आख़िरी टेस्ट मैच की तरफ़ आती है. 17 अगस्त 2006 को शुरू हुए इस मैच की पहली पारी में इंग्लैंड ने मात्र 173 रन बनाये थे और जवाब में पाकिस्तान ने 504 रन ठोंके. एक बार फिर मोहम्मद यूसुफ़ ने तीन अंकों का स्कोर बनाया. उनके साथ इमरान फ़रहत और मोहम्मद हफ़ीज़ नाइनटीज़ में पहुंच कर आउट हुए. इंग्लैण्ड की टीम इस 331 रनों के बोझ को उतारने की पूरी कोशिश कर रही थी. और यहीं वो घटता हुआ दिखा जो टेस्ट मैच को उसकी ख़ूबसूरती देता है. दो पारियों वाले इस फ़ॉर्मेट में करारा जवाब पा जाने के बाद आपको जवाब देने का एक और मौका मिलता है. इंग्लैण्ड ने तस्वीर बदलने की कोशिश की. तीसरे ओवर में पहला विकेट खो देने के बाद पहले एंड्रू स्ट्रॉस और एलिस्टर कुक ने 100 रनों की पार्टनरशिप की. उसके बाद कुक और पीटरसन ने.
इंग्लैण्ड बहुत ही अच्छी रिकवरी करती दिख रही थी और पाकिस्तानी खिलाड़ियों के कंधे झुकने शुरू हो गए थे. मगर फिर अचानक उमर गुल की गेंद आख़िरी मौके पर अंदर की ओर आई और कुक एलबीडब्लू आउट हुए. एलिस्टर कुक का बल्ला अब शांत था. और यहां से तस्वीर पर एक नया रंग चढ़ना शुरू हुआ. ये इंग्लैण्ड की पारी का 52वां ओवर था. इसके बाद गुल ने 2 ओवर और फेंके और जैसे ही 56वां ओवर ख़त्म हुआ, अम्पायर डेरिल हेयर और बिली डॉक्ट्रोव एक-दूसरे से मिले और कुछ बातें करने लगे. डेरिल हेयर गेंद को बड़े गौर से देख रहे थे और अपने साथी को भी दिखा रहे थे. टीवी फ़ुटेज में साफ़ दिखता है कि गेंद बिली डॉक्ट्रोव के हाथ में थी और डेरिल हेयर उन्हें अपनी उंगली से पिन-पॉइंट कर के गेंद के कुछ ख़ास हिस्सों को दिखा रहे थे.
अम्पायरों को दिखी गेंद के साथ छेड़खानी सेकंडों में ये साफ़ हो गया था कि अम्पायर गेंद की कंडीशन से बहुत खुश नहीं थे. उन्होंने ये बात तीसरे अम्पायर तक पहुंचाई और वहां से रिज़र्व अंपायर एक डब्बा लेकर आये जिसमें कई गेंदें रखी हुई थीं. अम्पायरों ने बल्लेबाज़ों को गेंद दिखाते हुए उनसे एक गेंद चुनने को कहा. पीटरसन और कुछ ही वक़्त पहले क्रीज़ पर आये पॉल कॉलिंगवुड ने गेंद चुनी. यहां तक सब कुछ ठीक चल रहा था क्यूंकि ये एक बेहद नॉर्मल परिस्थिति थी. क्रिकेट के खेल में रफ़ में पड़ने पर, प्रैक्टिस पिच पर बार-बार टप्पा खाने पर, स्टैंड्स में किसी मेटल की या सीमेंट की या किसी और बेहद ठोस जगह टकराने पर गेंद की कंडीशन ख़राब हो जाना बेहद आम बात है. ऐसे में अम्पायर्स गेंद बदल देते हैं. लेकिन इस मौके पर बॉल बदलने के बाद अम्पायर डेरेल हेयर ने पांच पेनाल्टी रनों का इशारा किया जो इंग्लैण्ड की टीम को दिए जा रहे थे. और इसका एक ही मतलब था- अम्पायर की नज़र में पाकिस्तान टीम ने गेंद से छेड़छाड़ की थी.
पांच रनों की पेनाल्टी का इशारा देखते ही पाकिस्तान के कप्तान इंज़माम उल हक़ तुरंत अम्पायर के पास पहुंचे. बकौल इंज़माम, उन्होंने जब अम्पायर डेरेल हेयर से पूछा कि आख़िर मामला क्या था तो उन्हें सीधा जवाब मिला कि आपको जो बात करनी है, मैच रेफ़री से कीजियेगा. इंज़माम फिर भी डटे रहे और पेनाल्टी रनों की वजह पूछते रहे. उन्हें डेरेल हेयर ने बताया कि ग़ैर-कानूनी तरीके से गेंद की सतह के साथ छेड़छाड़ की गयी थी और इसी वजह से पेनाल्टी रन दिये गए थे. इसपर इंज़माम ने अम्पायरों से गेंद दिखाने को कहा. इंज़ी को फिर से यही बताया गया कि गेंद मैच रेफ़री के सामने देखने को मिलेगी. यहां इंज़माम ने गर्मी दिखाई और ज़ोर देकर कहा कि वो उन दो टीमों में से एक के कप्तान हैं और मैच के आगे बढ़ने से पहले, पेनाल्टी दिए जाने से पहले उन्हें गेंद देखने का पूरा हक़ है. इसके बाद उन्हें गेंद दिखाई गयी. इसपर उन्होंने कहा कि गेंद में उन्हें कोई भी गड़बड़ी नहीं दिख रही है. लेकिन अम्पायर अपना मन बना चुके थे. इंग्लैण्ड को 5 एक्स्ट्रा रन दे दिये गए.
इसके बाद इंग्लैण्ड ने ख़ुद चूज़ की हुई गेंद से रन बटोरने शुरू किये. अगले 8 ओवर में 4 चौके और 2 चक्के पड़े. इंग्लैण्ड की टीम रन बनाती जा रही थी और इस पूरे दौरान इंज़माम बौखलाए हुए दिख रहे थे. उधर पाकिस्तान की बालकनी पर वक़ार यूनिस और ज़हीर अब्बास किसी जिरह में उलझे हुए दिख रहे थे. और 3-4 मिनट बाद ही पाकिस्तान के कोच बॉब वूल्मर हाथ में रूल बुक पकड़े हुए मैच रेफ़री के ऑफ़िस की ओर जाते हुए दिखे. ऊपर-ऊपर से देखें तो कोई ये कह सकता था कि खेल नॉर्मल हालत में आगे बढ़ रहा था. लेकिन जो तबीयत पढ़ सकते थे, उन्हें मालूम था कि मैदान की हवा कुछ गर्म हो चली थी. कई घटनाएं एक साथ घट रही थीं. और इसी सब के बीच केविन पीटरसन 96 रन पर आउट हो गये. फिर कॉलिंगवुड और इयान बेल ने मिलकर 21 रन और जोड़े. कुछ देर में चायकाल के लिये खेल रुका. बोर्ड पर इंग्लैण्ड ने 4 विकेट पर 298 रन टांग दिए थे. दोनों खेमे के खिलाड़ी अपने-अपने तम्बुओं में जा रहे थे. ये टी कुछ जल्दी डिक्लेयर की गयी थी क्यूंकि काफ़ी बादल आ गये थे और रोशनी कम हो रही थी. बारिश कुछ ही मिनट दूर दिख रही थी. लिहाज़ा बारिश को पूरा मौका दिया गया. चाय जल्दी पीने का फ़ैसला किया और पिच को ढक दिया गया. आधे घंटे में मौसम साफ़ हुआ, फुहार चली गयी और पिच से कवर भी हटा दिया गया. शाम 4 बजकर 35 मिनट पर अम्पायर्स मैदान में चलते हुए आये. दर्शक ताली बजा रहे थे. माना जा रहा था कि ये सेशन निर्याणक साबित होने वाला था. मात्र 33 रनों में इंग्लैण्ड पाकिस्तान पर लीड चढ़ाना शुरू करने वाला था. हालांकि मैच पाकिस्तान के हक़ में ज़्यादा दिख रहा था लेकिन ये वही पाकिस्तान थी जो पहले टेस्ट में 500 रन बनाने के बाद अगली पारी में मात्र 150 रन ही बना पायी थी. कुल मिलाकर मामला रोचक होता दिख रहा था. लेकिन किसी को भी ये इल्म नहीं था कि इतना रोचक होगा.
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