
चाचा-भतीजे की लड़ाई में बंट गई LJP की विरासत, नाम बदला; चुनावी निशान भी मिट गया
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EC issues new names, symbols to LJP: बिहार की राजनीति का बड़ा दलित चेहरा रहे रामविलास पासवान की विरासत आखिरकार बंट गई. चिराग पासवान और उनके चाचा पशुपति पारस के बीच लंबे समय से मतभेद था. चुनाव आयोग के फैसले से अब वर्चस्व की लड़ाई खत्म होती दिख रही है.
नई दिल्ली: बिहार (Bihar) में कुशेश्वरस्थान और तारापुर विधानसभा क्षेत्र में होने वाले उपचुनाव में जहां राजनीतिक अपनी-अपनी जीत सुनिश्चित करने के लिए दिन-रात एक किए हैं. इससे ठीक पहले बिहार की राजनीति में अपना अलग मुकाम रखने वाली पार्टी का चुनावी निशान मिट गया. यहां बात दलित राजनीति के बड़े चेहरे रहे रामविलास पासवान (Ram Vilas Paswan) की विरासत लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) की जो उनके निधन के साल भर बाद ही बंट गई.
दरअसल चुनाव आयोग (EC) ने लोकजनशक्ति पार्टी के दोनों धड़ों को अलग-अलग पार्टी के तौर पर मंजूरी दे दी है. इसके साथ आयोग ने उसका पुराना नाम और चुनाव चिह्न भी खत्म कर दिया. भविष्य में चिराग पासवान (Chirag Paswan) की लीडरशिप वाले धड़े का नाम लोकजनशक्ति पार्टी (रामविलास) होगा. उनकी पार्टी को हेलिकॉप्टर (Helicopter) चुनाव चिह्न आवंटित किया गया वहीं उनके चाचा पशुपति कुमार पारस की पार्टी का नाम राष्ट्रीय लोकजनशक्ति पार्टी होगा. जिसे सिलाई मशीन चुनाव चिह्न दिया गया है.