'गांधी से कम नहीं था नेताजी सुभाष का योगदान, नोटों पर छपे उनकी तस्वीर', हिंदू महासभा की मांग
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पश्चिम बंगाल में हिंदू महासभा के कार्यकारी अध्यक्ष चंद्रचूड़ गोस्वामी ने शुक्रवार को मीडिया से बात करते हुए कहा कि हमें लगता है कि देश के स्वतंत्रता संग्राम में नेताजी का योगदान महात्मा गांधी से कम नहीं था. इसलिए भारत के सबसे महान स्वतंत्रता सेनानी नेताजी को सम्मानित करने का सबसे अच्छा तरीका मुद्रा नोटों पर उनकी तस्वीर है. गांधीजी की तस्वीर को नेताजी के साथ बदल दिया जाना चाहिए.
हिंदू महासभा ने भारतीय करेंसी के नोटों पर छपी महात्मा गांधी की तस्वीर को हटाकर नेताजी सुभाष चंद्र बोस की तस्वीर लगाने की मांग की है. राजनीतिक दल का कहना है कि स्वतंत्रता संग्राम में उनका योगदान राष्ट्रपिता से कम नहीं था. इससे पहले पश्चिम बंगाल में हिंदू महासभा द्वारा आयोजित दुर्गा पूजा में महात्मा गांधी की तरह दिखने वाली महिषासुर की मूर्ति को लेकर हंगामा हुआ था.
पश्चिम बंगाल में हिंदू महासभा के कार्यकारी अध्यक्ष चंद्रचूड़ गोस्वामी ने शुक्रवार को मीडिया से बात करते हुए कहा कि हमें लगता है कि देश के स्वतंत्रता संग्राम में नेताजी का योगदान महात्मा गांधी से कम नहीं था. इसलिए भारत के सबसे महान स्वतंत्रता सेनानी नेताजी को सम्मानित करने का सबसे अच्छा तरीका मुद्रा नोटों पर उनकी तस्वीर है. गांधीजी की तस्वीर को नेताजी के साथ बदल दिया जाना चाहिए.
इस दौरान गोस्वामी ने बताया संगठन ने पश्चिम बंगाल में होने वाले पंचायत चुनाव लड़ने का फैसला किया है. वहीं गोस्वामी की मांग को लेकर टीएमसी और कांग्रेस ने उनकी आलोचना की. इन्होंने कहा कि बीजेपी की शाखाओं को बंगाल में विभाजनकारी राजनीति करना बंद कर देना चाहिए. पश्चिम बंगाल कांग्रेस अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि देश की आजादी में गांधी जी की भूमिका निर्विवाद है. अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि हम सभी जानते हैं कि महात्मा गांधी की हत्या के पीछे कौन था और अब उनके आदर्शों और सिद्धांतों की रोजाना हत्या हो रही है. भाजपा और आरएसएस को इसका जवाब देना चाहिए. हालांकि इस दौरान गोस्वामी ने दोहराया कि महिषासुर के रूप में गांधीजी का चित्रण अनजाने में हुआ था.
महिषासुर के रूप में गांधी जी पर सफाई
हिंदू महासभा की ओर से दावा किया था कि यह एक संयोग था कि महिषासुर की मूर्ति, जिसका सिर गंजा था और सफेद धोती और गोल चश्मा पहने हुए थी, गांधी के समान थी. उन्होंने कहा कि गांधीजी को महिषासुर के रूप में चित्रित करने का हमारा कोई इरादा नहीं था. यह अनजाने में था. इस मुद्दे पर विवाद पैदा करने की कोशिश करने वालों को ऐसा करने से बचना चाहिए.
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