
'गमे आशिकी से कह दो सरेआम तक न पहुंचे', जानिए कैसे गीतकारे आजम बन गए शकील बदायुनी
Zee News
शकील साहब का संबंध अदबी, पढ़े-लिखे घराने से था. उनके पिता मोहम्मद जमाल अहमद साहब ने उन्हें अरबी, उर्दू, फारसी, की तालीम की तालीम थी. बचपन से ही उन्हें शायरी बहुत शौक था.
मोहम्मद सुहेल: हिंदी फिल्मों के गीतकारों और शायरों का जिक्र जब भी, जहां भी छिड़ेगा तो गीतकारे आजम शकील बदायुनी (Shakeel Badayuni) का नाम जहन में जरूर आएगा. आज शकील साहब का जन्मदिन है. इस खास मौके पर हम आपको उनकी जिंदगी से जुड़ी कुछ ऐसी बातें बताने जा रहे हैं जो शायद आप पहले नहीं जानते होंगे. शकील बदायूनी को इस दुनिया से रुखसत हुए जमाना हो गया लेकिन आज भी उनकी जादुई शायरी कहीं ना कहीं उनके होने का एहसास कराती रहती है. हर चीज नहीं एक मरकज पर एक जरा इधर एक जरा उधर नफरत से ना देखो दुश्मन को शायद वो मोहब्बत कर बैठेMore Related News