एक कत्ल, गैंगवार का डर और खूनी साजिश... हैरान कर देगी एक रसूखदार शख्स की मर्डर मिस्ट्री
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जिस शख्स का क़त्ल हुआ था, उसकी गिनती ना सिर्फ शहर के बड़े ठेकेदारों और दबंगों में होती थी, बल्कि वो जमशेदपुर के सबसे बड़े बाहुबली और राजनेता का साला भी था. उसकी मौत ने एक सिर्फ एक शहर ही नहीं बल्कि पूरे सूबे को दहला दिया था.
झारखंड के जमशेदपुर में एक बाहुबली नेता और पूर्व विधायक के साले की गोली मार कर हत्या कर दी जाती है. इस कत्ल को लेकर पूरा शहर सन्न रह जाता है. ऐसा लगने लगता है कि कहीं इस खून का बदला लेने के लिए शहर में गैंगवार ना छिड़ जाए. बाहुबली नेता कातिल का सुराग देने वाले को अपनी तरफ से एक लाख का इनाम देने का ऐलान करता है. केस की जांच में जुटी पुलिस आखिरकार कातिल तक पहुंच जाती है और इसके बाद जो खुलासा होता है, वो सबको हैरान-परेशान कर देता है.
बुधवार, 29 जून 2022 रात के करीब साढे आठ बजे जमशेदपुर में एक बड़ी वारदात होती है. कुछ गुमनाम कातिल शहर के आदित्यपुर इलाके के एक अपार्टमेंट में घुसकर एक शख्स को बिल्कुल करीब से सिर में गोली मारते हैं और भाग जाते हैं. गोली कन्हैया सिंह नाम के शख्स को मारी जाती है. आनन-फानन में कन्हैया सिंह को अस्पताल ले जाया जाता है. लेकिन डॉक्टर उसे ब्रॉट डेड यानी मुर्दा करार देते हैं. वैसे तो कत्ल समेत जुर्म की तमाम वारदातें इन दिनों झारखंड में एक आम बात है, लेकिन ये वाकया दूसरे मामलों से जुदा था.
कन्हैया के कत्ल पर सवाल वजह ये थी कि जिस शख्स का क़त्ल हुआ था, उसकी गिनती ना सिर्फ शहर के बड़े ठेकेदारों और दबंगों में होती थी, बल्कि वो जमशेदपुर के सबसे बड़े बाहुबली और पूर्व विधायक मलखान सिंह का साला भी था. और मलखान सिंह के साले कन्हैया सिंह के कत्ल की वारदात सिर्फ जमशेदपुर ही नहीं बल्कि पूरे झारखंड के लिए एक बड़ी बात थी. क्या ये किसी गैंगवार का नतीजा था? वर्चस्व की लड़ाई का अंजाम था? ठेकेदारी का कोई विवाद? पॉलिटिकल मर्डर? या फिर कुछ? शहर में जितनी मुंह उतनी बातें थीं.
ना किसी पर शक था, ना किसी दुश्मनी देखते ही देखते शहर की राजनीति गर्मा गई, पूरे शहर में पुलिस के खिलाफ धरने प्रदर्शन की शुरुआत हो गई थी. लोग सड़कों पर उतर आए थे. नारेबाजी होने लगी थी. कहने की जरूरत नहीं है कि पुलिस भी दवाब में आ गई थी. लेकिन इसी दबाव के बीच पुलिस को काम भी करना था. आनन-फानन में एसआईटी बनाई गई और पुलिस ने हर एंगल को एक्सप्लोर करना शुरू किया. कारोबार, बदला, दबंगई, रिश्ते-नाते सबकुछ. लेकिन सबसे बड़ी दिक्कत ये थी कि परिवार के लोग कन्हैया सिंह के कत्ल को लेकर ना तो किसी पर कोई शक जता रहे थे और ना ही इसकी कोई वजह बता पा रहे थे.
सीसीटीवी में दिखाई दिया कातिल ऐसे में पुलिस ने टेक्नीकल सर्विलांस का सहारा लेना शुरू किया. आस-पास के सीसीटीवी कैमरों की फुटेज की स्कैनिंग की गई और मोबाइल का डंप डाटा और सीडीआर भी निकाला गया. टेक्नीकल सर्विलांस में पुलिस को इस केस का पहला क्लू इस सीसीटीवी फुटेज की सूरत में मिला. इस सीसीटीवी फुटेज में कन्हैया सिंह को गोली मारनेवाला का कातिल बदहवास भागता हुआ दिख रहा था.
हो चुकी थी कातिल की पहचान हालांकि फुटेज बहुत क्लीयर तो नहीं थी, लेकिन इससे कातिल के डील-डौल और बॉडी लैंग्वेज का पता जरूर चलता था. तस्वीरें धुंधली ही सही लेकिन इन्हीं की बदौलत जल्द ही पुलिस ने कातिल की पहचान भी कर ली थी. वो शहर का छंटा हुआ बदमाश और शूटर निखिल गुप्ता था. पुलिस ने जब निखिल की सीडीआर यानी कॉल डिलेट रिकॉर्ड निकलवाई, तो कहानी और साफ हो गई. कत्ल की सारी रात निखिल अपना लोकेशन बदलता दिख रहा था और अगले ही दिन वो शहर छोड़ चुका था.
अश्विनी वैष्णव ने कहा कि आज देश में डिफेंस और रेलवे ये दो ऐसे सेक्टर हैं जिनके राजनीतिकरण से बचते हुए आगे बढ़ने की जरूरत है. ये देश की ताकत हैं. रेलवे का पूरा फोकस गरीब और मिडल क्लास परिवारों पर. एसी और नॉन एसी कोच के रेशियो को मेंटेन किया गया. जब कई सदस्यों की ओर से जनरल कोच की डिमांड आई तो 12 कोच जनरल कोच बनाए जा रहे हैं. हर ट्रेन में जनरल कोच ज्यादा हो, इस पर काम किया जा रहा है.