Sunil Gavaskar-Rohan Kanhai: 'शतक नहीं बनाना है क्या...', जब सुनील गावस्कर को विरोधी खिलाड़ी ने लगाई डांट
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टीम इंडिया को जुलाई के महीने में वेस्टइंडीज का दौरा करना है. भारत को वेस्टइंडीज के खिलाफ पहली बार सीरीज जीत 1971 के दौरे में मिली थी. उस दौरे में सुनील गावस्कर ने अपने डेब्यू पर धमाकेदार प्रदर्शन किया था. गावस्कर की इस स्वर्णिम शुरुआत के पीछे एक ऐसे खिलाड़ी का बड़ा योगदान रहा, जो विरोधी टीम का था.
वर्ल्ड टेस्ट चैम्पियनशिप (WTC) के फाइनल मुकाबले में टीम इंडिया को ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 209 रनों से शर्मनाक हार का सामना करना पड़ा था. फाइनल मुकाबले के बाद टीम इंडिया के खिलाड़ियों को लगभग एक महीने का ब्रेक मिला है. अब भारतीय टीम जुलाई महीने में वेस्टइंडीज के टूर पर जाने वाली है. वेस्टइंडीज दौरे पर भारत को 2 टेस्ट, 3 वनडे और 5 टी20 मैच खेलने हैं.
देखा जाए तो वेस्टइंडीज के खिलाफ सबसे पहली बार टीम इंडिया को सीरीज जीत साल 1971 के दौरे में मिली थी. उस दौरे में भारत ने पांच मैचों की टेस्ट सीरीज पर 1-0 से कब्जा किया था. उसी सीरीज में सुनील गावस्कर ने पदार्पण कर कीर्तिमान रच दिया था. उन्होंने अपनी पहले ही सीरीज में रनों की बरसात कर दी और उनका यह रिकॉर्ड आज भी बरकरार है.
सुनील गावस्कर की इस स्वर्णिम शुरुआत के पीछे एक ऐसे खिलाड़ी का बड़ा योगदान रहा, जो विरोधी टीम का था. गावस्कर ने एक शो के दौरान खुलासा किया कि उनकी पहली सीरीज के दौरान वेस्टइंडीज के एक खिलाड़ी ने उनका 'चुपके' से हौसला बढ़ाया था. वो कोई और नहीं- रोहन कन्हाई थे, जिनके नाम पर गावस्कर ने अपने बेटे का नाम रोहन रखा. 1976 में पैदा हुए रोहन गावस्कर ने भी 11 वनडे में भारत का प्रतिनिधित्व किया था.
कन्हाई ने गावस्कर को लगाई थी डांट
73 साल के सुनील गावस्कर ने उस खास पल को याद करते हुए कहा था, 'जब मैंने अपने डेब्यू सीरीज में खराब शॉट खेला, तब अगले ओवर में रोहन कन्हाई ने स्लिप पर जाने के समय मेरे सामने से गुजरते हुए चुपके से डांट लगाई. उन्होंने (कान में फुसफुसाते हुए कहा) बल्लेबाजी पर ध्यान लगाओ...100 नहीं चाहिए क्या, क्या हो गया तुम्हें?
गावस्कर ने कहा, 'सोचो आप 70 रन पर खेल रहे हो...ऐसे में मेरी गलती उनसे देखी नहीं गई. विरोधी टीम के होने के बावजूद वह मेरा हौसला नहीं तोड़ना चाहते थे, वह तो मेरा शतक देखना चाहते थे.. यह अविश्वसनीय था. मैं जितने लोगों से मिला था, वह सबसे अच्छे थे. तभी तो मुझे अपने बेटे का नाम 'रोहन' रखने के लिए ज्यादा कुछ सोचना नहीं पड़ा.'