CItadel Review: प्रियंका चोपड़ा का एक्शन अवतार है इस ढीली-सुस्त स्पाई थ्रिलर की हाईलाईट
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प्रियंका चोपड़ा और रिचर्ड मैडन की स्पाई-थ्रिलर सीरीज 'सिटाडेल' के पहले दो एपिसोड्स आ चुके हैं. इसमें एक सीक्रेट एजेंसी और उसके एजेंट्स की कहानी दिखाई गई है. शो से जनता को एक स्पाई किरदारों और सॉलिड एक्शन की उम्मीद थी. क्या 'सिटाडेल' इन उम्मीदों पर खरा उतर पाया? आइए बताते हैं इस रिव्यू में.
इंडियन ऑडियंस के तौर पर अमेजन प्राइम विडियो का 'सिटाडेल' देखने की सबसे पहली वजह है 'हमारी अपनी' प्रियंका चोपड़ा का शो में होना. लेकिन एक इंटरनेशनल स्पाई थ्रिलर-एक्शन ड्रामा देखने की एक्साइटमेंट सिर्फ इस एक वजह से होना, अपने आप में बताता है कि एंटरटेनमेंट के थर्मामीटर पर शो का तापमान कितना है!
पिछले कुछ सालों में स्पाई स्टोरीज में बेचारी खुफिया एजेंसीज देश-दुनिया को बचाने से ज्यादा अपने अस्तित्व को लेकर टेंशन में जी रही हैं. फिर वो ईथन हंट (टॉम क्रूज) वाली इम्पॉसिबल मिशन फोर्स हो जेम्स बॉन्ड की ब्रिटिश सीक्रेट सर्विस. 'सिटाडेल' का मतलब होता है किला और शो की कहानी ही इस किले यानी सीक्रेट एजेंसी के ढहने से शुरू होती है. सिटाडेल के दो टॉप क्लास एजेंट पहले 15 मिनट एक ट्रेन में किसी टारगेट को ट्रेस करते हुए नजर आते हैं. आधे एपिसोड में ही आपको समझ आ जाता है कि पूरे शो में आपको, आपकी देखी हुई पिछली सारी स्पाई थ्रिलर्स याद आने वाली हैं.
कहानी यानी 'सिटाडेल' के किले में सुरंग! इन दोनों में से, प्रियंका चोपड़ा यानी नाडिया सिंह (जिसके सिंह के स्पेलिंग शायद किसी ज्योतिषीय कारण से Sinh हैं!) फीमेल स्पाई का वही पचासों साल पुराना टास्क कर रही हैं- टारगेट को 'हुस्न के जाल में फंसाकर इनफॉर्मेशन निकलवाना'! लेकिन नाडिया को एक्शन करने का भी सॉलिड मौका मिला है और प्रियंका के फाइट सीन्स भी दमदार हैं. नाडिया के साथ एक और एजेंट मेसन केन (रिचर्ड मैडन) भी ट्रेन पर साथ है. टिपिकल स्पाई थ्रिलर स्टाइल में पूरे ऑपरेशन को इनका एक साथी, बर्नार्ड ऑर्लिक (Stanley Tucci) चेयर पर बैठकर कोऑर्डिनेट कर रहा है.
केन और नाडिया की केमिस्ट्री उतनी ही दमदार है जितनी एक पार्टी में गलती से मिल गए एक्स-लवर्स की लगती है. लेकिन इससे उबरने का मौका जल्दी ही मिलता है जब ट्रेन का एक्सीडेंट होता है. इस पूरे प्लान के पीछे एक बड़ा क्राइम सिंडिकेट मांटीकोर है, जिसकी बॉस का नाम डाहलिया (Lesley Manville) है. कहानी में सीधा 8 साल का जंप आता है और अब केन एक घरेलू आदमी है जिसे पिछला कुछ याद नहीं है. अगर केन इसी तरह रहता तो शायद एक बेहतरीन कॉमेडी ड्रामा का प्लॉट हो सकता था, लेकिन शो स्पाई थ्रिलर है इसलिए जल्दी ही उसे उसका पास्ट याद दिलाने बर्नार्ड पहुंच जाता है. और साथ में एक छोटा सूटकेस टाइप डिवाइस भी लाया है, जिसमें एजेंट्स की मेमोरी और एजेंसी की डिटेल्स वगैरह हैं. बर्नार्ड के हिसाब से अब वो दोनों ही सिटाडेल के बचे हुए एजेंट्स हैं.
'सिटाडेल' का ट्रेलर या प्रोमो आपने देखा हो या नहीं, लेकिन इतना अंदाजा आप भी आराम से लगा सकते हैं कि सिर्फ वही दो जिंदा एजेंट्स नहीं हैं. नाडिया को आखिर सीन में आना ही है, बस 'जरा देर लगेगी'. हालांकि कहानी में ट्विस्ट टाइप का कुछ क्रिएट करने की कोशिश होती है और मामला बहुत जल्द 'इस जंगल में हम दो शेर' वाला हो जाता है. शो इंटरनेशनल है और इसके कई सीजन और स्पिन-ऑफ भी प्लान हो चुके हैं, तो इतना तय है कि सिटाडेल एजेंसी अभी खत्म तो नहीं होने वाली. लेकिन सिर्फ दो एपिसोड्स बाद ही शो को बर्दाश्त करना भारी लग रहा है.
शो का हाल-समाचार स्पाई थ्रिलर कहानियों में सबसे दिलचस्प ये होता है कि एक पॉइंट के बाद बेसिक प्लॉट दर्शक डीकोड कर लेते हैं. सारा मजा बस इस बात का रह जाता है कि स्क्रीन पर जो घट रहा है, वो कैसे घट रहा है. ये एक ऐसा जॉनर है जिसमें मेकर्स के पास स्क्रीन पर सबसे लॉजिक-विहीन, कॉमनसेन्स-विदारक हरकतें करने का स्कोप होता है. इतनी लिबर्टी मिलने के बाद कम से कम स्टोरी के ट्विस्ट-ओ-टर्न तो ऐसे होने चाहिए कि उसका अंदाजा पहले से न हो पाए. 'सिटाडेल' इस मामले में चूक जाता है. पहला एपिसोड आधा खत्म होने तक पूरा प्लान क्लियर हो जाता है.
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