14 साल तक स्क्रिप्ट लेकर घूमता रहा, कहते थे बिना हीरो के फिल्म नहीं चलेगी: डायरेक्टर निखिल
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हालिया रिलीज हुई फिल्म 'अपूर्वा' को लेकर एक दिलचस्प बात पता चली है. फिल्म की स्क्रिप्ट तो 2009 में ही तैयार हो गई थी. चूंकि फिल्म का सब्जेक्ट महिला प्रधान था, जिसकी वजह से इसे प्रोड्यूसर्स कहानी पढ़कर अपने हाथ खड़े कर दिया करते थे.
तारा सुतारिया स्टारर फिल्म अपूर्वा को दर्शक व क्रिटिक्स से मिक्स रिव्यूज मिले हैं. फिल्म के डायरेक्टर निखिल हमसे फिल्म की अनोखी कास्टिंग और अपूर्वा के स्क्रिप्ट को लेकर एक दिलचस्प किस्सा शेयर करते हैं.
फिल्म को मिल रहे मिक्स रिव्यू पर निखिल कहते हैं, एक डायरेक्टर के तौर पर मैं बहुत ही लालची किस्म का इंसान रहा हूं. फिल्म की रिलीज के बाद मैंने लोगों के रिव्यूज पढ़ें, कई लोगों ने मेरे नए प्रयास को सराहा है, तो कईयों को पसंद नहीं आई है. क्रिटिक्स के मिल रहे व्यूज को मैं हमेशा फायदे के नजरिये से ही देखता हूं. इससे मुझे फ्री में पता चलता है कि मेरी फिल्म में क्या खामियां रह गई हैं. मैं उन गलतियों से सीखता हूं और कोशिश यही रहती है कि अगली फिल्म में इसका दोहराव नहीं हो. हालांकि इसमें एक बात मैं यह भी जोड़ना चाहूंगा कि मुझे रिव्यूवर्स की मंशा पर थोड़ा सा शक होता है. कई बार वो आपकी फिल्म के बारे में ऐसा लिखते हैं कि कुछ भी पसंद ही नहीं आया है. किसी को कुछ भी पसंद नहीं आया हो, तो इसका मतलब यही है कि वो टारगेट कर लिखा जा रहा है.
अनोखी कास्टिंग से सरप्राइज होते हैं दर्शक निखिल अपनी फिल्मों में अनोखी कास्टिंग के लिए पहचाने जाते हैं. कास्टिंग को लेकर हमेशा से एक्सपेरिमेंटल रहे निखिल इसे अपनी स्ट्रैटेजी मानते हैं. निखिल बताते हैं, मैं करियर की शुरुआत में ऐडवर्टिजमेंट के लिए कास्टिंग किया करता था. मैं उन दिनों अभिनव देओ जी को असिस्ट कर रहा था. मैंने वहां से यह बात सीखी थी कि अगर कास्टिंग से आप लोगों को सरप्राइज कर देते हैं, तो इससे आधा मैसेज आपका कन्वे हो जाता है. इसी विचार के साथ मैंने फिल्म मेकिंग में आया था. मैं इस बात से पूरी तरह इत्तेफाक रखता हूं कि किसी का अटेंशन आप तुरंत कैच कर जाते हैं. उस किरदार के प्रति दर्शकों का इंट्रेस्ट बढ़ता है. हालांकि मैं इसे लेकर बहुत अडिग भी नहीं हूं, आपको कहानी के अनुसार ही कास्टिंग करनी होती है. इस बीच अनोखी कास्टिंग हो जाए, तो सोने पर सुहागा वाली बात हो जाती है.
तारा ने अपनी एक्टिंग से सरप्राइज कर दिया तारा सुतारिया अपने ग्लैमरस किरदार के लिए पहचानी जाती हैं. ऐसे में उन्हें एक नए अवतार में प्रोजेक्ट करना रिस्की भी हो सकता था. जवाब में निखिल कहते हैं, 'जब मैं तारा के साथ प्रेप कर रहा था, तो मैंने क्लियर कर दिया था कि मुझे स्क्रीन पर बहुत ही नैचुरल रिएक्शन चाहिए था. इसलिए सीन या डायलॉग को लेकर हम किसी तरह की खास तैयारी नहीं कर रहे थे. हमने कैरेक्टर और उस दुनिया को लेकर तैयारी की थी, मैं नहीं चाहता था कि रिहर्स किया गया इमोशन स्क्रीन पर नजर आए, इसलिए तारा से कोई भी सीन रिहर्स नहीं करवाए थे. वो इस तरह के एक्सपेरिमेंटल किरदार को लेकर खासी उत्साहित थीं. वो किरदार के लिए मेंटली तैयार थी. शॉट शुरू होते ही, वो हमें कई बार सरप्राइज कर देती थी. हमने जितने भी शॉट्स लिये हैं, वो तीन या चार टेक पर ही किए गए थे.'
14 साल तक स्क्रिप्ट लेकर घूमता रहा अपूर्वा के बाद निखिल धर्मा प्रोडक्शन की फिल्म 'किल' की मेकिंग को लेकर भी चर्चा में हैं. आज भले ही निखिल इस मुकाम पर पहुंच गए हों, लेकिन उनके लिए भी राहें इतनी आसान नहीं थी. खासकर अपूर्वा को लेकर वो दिलचस्प किस्सा सुनाते हुए कहते हैं, 'अपूर्वा मैंने 2009 में लिखी थी. सोच लें 14 साल तक मैं यह स्क्रिप्ट लेकर घूमा हूं. मुझे फिल्म बनाने में इतना वक्त लग गया. मैं जिस किसी भी प्रोडक्शन हाउस जाता, लोग कहते कि अरे इसमें हीरो कहां है. इसके आखिर के सीन में हीरो लेकर आओ, जो हीरोइन को बचाएगा. उस वक्त फीमेल ओरिएंटेड फिल्मों को इतनी तवज्जों नहीं दी जाती थी. मैं बार-बार बोलता था कि नहीं, मेरी फिल्म में फीमेल ही हीरो है. बहुत से लोगों ने मुझे रिजेक्ट कर दिया. आखिरकार 14 साल बाद अपनी जिद्द पर अड़े रहने के बाद मुझे अपनी कहानी को रिलीज करने का मौका मिला था. '
करण ने बहुत सपोर्ट किया किल में करण जौहर और गुनित मोंगा जैसे प्रोड्यूसर के साथ जुड़ चुके निखिल से जब हमने जानना चाहा कि फिल्म में प्रोड्यूसर का क्रिएटिव इनवॉल्वमेंट कितना होता है. करण ने कहानी को कितना बदलने की कोशिश की है. जवाब में निखिल कहते हैं,' मैं खुद के काम करने के एक्सपीरियंस पर यही कह सकता हूं कि बहुत ही सहज प्रोसेस रहा है. उन्होंने जितना सपोर्ट किया है, मैं तो उसकी कल्पना भी नहीं कर सकता था. मैंने आजतक कोई बड़ी एक्शन फिल्म नहीं बनाई है. वहीं किल 80 प्रतिशत एक्शन से भरपूर है. आप इसी बात से अंदाजा लगा सकते हैं कि उन प्रोड्यूसर्स का मुझपर इस कदर विश्वास होना, उनके विजन को दर्शाता है. मेरा काम करने का एक्सपीरियंस तो कमाल का रहा है.'
अल्लू अर्जुन की फिल्म पुष्पा 2 ने रविवार को वर्ल्डवाइड मार्केट में 800 करोड़ कमा लिए हैं. सबसे मजेदार बात ये है कि अल्लू की फिल्म का हिंदी कलेक्शन तेलुगू वर्जन से बढ़िया है. रविवार को जहां पुष्पा ने हिंदी में 85 करोड़ कमाए, वहीं तेलुगू भाषा में 44 करोड़ की कमाई की. इससे साफ जाहिर है अल्लू का क्रेज हिंदी ऑडियंस के बीच जबरदस्त है.