शराब की खातिर किया था रिश्तेदार पर जानलेवा हमला, कोर्ट ने सुनाई महज 9 महीने कैद की सजा, ये है वजह
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दरअसल, साल 2017 में हत्या की कोशिश का एक मामला सामने आया था. जिसमें अब अदालत ने एक व्यक्ति को मात्र नौ महीने की कैद की सजा सुनाई है, हालांकि, दोषी को रिहा कर दिया जाएगा, क्योंकि वह पहले ही नौ महीने से ज़्यादा समय तक जेल में रह चुका है.
दिल्ली की एक अदालत ने 'हत्या की कोशिश' के एक पुराने मामले में फैसला सुनाते हुए दोषी को महज 9 महीने की कैद सजा सुनाई है. जिसने शराब खरीदने के लिए पैसे न दिए जाने पर अपने चचेरे भाई पर हमला किया था. तब उसके खिलाफ आईपीसी की धारा 307 के तहत मामला दर्ज किया गया था. यह मामला सात साल पुराना है.
दरअसल, साल 2017 में हत्या की कोशिश का एक मामला सामने आया था. जिसमें अब अदालत ने एक व्यक्ति को मात्र नौ महीने की कैद की सजा सुनाई है, हालांकि, दोषी को रिहा कर दिया जाएगा, क्योंकि वह पहले ही नौ महीने से ज़्यादा समय तक जेल में रह चुका है.
वर्तमान मामले में लागू तत्कालीन भारतीय दंड संहिता के तहत, हत्या के प्रयास के अपराध के लिए 10 साल तक की कैद और जुर्माना हो सकता है. अगर किसी व्यक्ति को अपराध से चोट पहुंचती है, तो कारावास को बढ़ाकर आजीवन कारावास किया जा सकता है.
पीड़ित द्वारा दोषी चचेरे भाई को माफ करने और अपने मतभेदों को सुलझाने के बाद दोनों के "सौहार्दपूर्ण तरीके से रहने" के बारे में दिए गए तर्कों को ध्यान में रखते हुए अदालत ने सजा की मात्रा तय करते समय नरम रुख अपनाया.
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश विशाल पाहुजा आईपीसी की धारा 307 (हत्या का प्रयास) के तहत दोषी ठहराए गए नवीन कुमार के खिलाफ सजा पर बहस सुन रहे थे. अभियोजन पक्ष के अनुसार, नशे में धुत कुमार ने अपने चचेरे भाई मुकेश पर सर्जिकल ब्लेड से हमला किया, यह दावा करते हुए कि कुछ दिन पहले पीड़ित ने उसे शराब खरीदने के लिए पैसे देने से मना कर दिया था.
यह घटना 17 नवंबर, 2017 को हुई थी. इस हमले में महेश को गंभीर चोटें आई थीं. अब 25 नवंबर को पारित आदेश में, अदालत ने कहा कि शिकायतकर्ता (महेश) जो आज अदालत में मौजूद है, ने प्रस्तुत किया है कि दोषी उसका चचेरा भाई है, इसलिए, उनके बीच कोई दुश्मनी नहीं है. इसलिए वह दोषी से कोई मौद्रिक मुआवजा नहीं चाहता है और सजा के मामले में दोषी के खिलाफ नरम रुख की भी प्रार्थना करता है.
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