जिम कॉर्बेट में ड्रोन कैमरों से महिलाओं की 'जासूसी', चोरी-छिपे रिकॉर्ड किए हुए वीडियो वायरल
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कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी की रिसर्च में सामने आया है कि उत्तराखंड के कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में जानवरों की निगरानी के लिए लगाए गए कैमरे और वॉइस रिकॉर्डर का इस्तेमाल अब स्थानीय महिलाओं को बिना उनकी इजाजत के रिकॉर्ड करने के लिए किया जा रहा है. इससे महिलाओं के व्यवहार में बदलाव देखने को मिला है और उन पर जानवरों के हमले भी बढ़े हैं.
उत्तराखंड के जिम कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में जंगली जानवरों की निगरानी के लिए लगाए गए कैमरा, वॉयस रिकॉर्डर और ड्रोन का इस्तेमाल ग्रामीण महिलाओं पर जासूसी करने के लिए भी किया जा रहा है. ये वो महिलाएं हैं, जो चारा ढूंढने या अपने अन्य कामों के लिए जंगल में जाती हैं.
कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं की एक रिपोर्ट के अनुसार, इससे महिलाओं के व्यवहार में बदलाव आ रहा है और वे जंगली जानवरों के हमलों के प्रति ज्यादा संवेदनशील हो रही हैं. एक शोधकर्ता ने इंडिया टुडे डिजिटल को यह जानकारी दी.
महिलाओं पर नजर रख रहे हैं ये कैमरे
जिम कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में कैमरा ट्रैप और ड्रोन जंगली जानवरों की सुरक्षा में मददगार रहे हैं. हालांकि, कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने पाया है कि स्थानीय अधिकारियों और गांव के कुछ पुरुषों द्वारा इनका इस्तेमाल उन महिलाओं पर जासूसी करने के लिए भी किया जाता है जो जंगल में लकड़ियां बीनने या पशुओं के लिए चारा इकट्ठा करने जाती हैं. शोधकर्ताओं का कहना है कि ये महिलाएं ज्यादातर उत्तराखंड के टाइगर रिजर्व के अंदर और आसपास के गांवों से हैं और इन गैजेट्स (ड्रोन, सीसीटीवी कैमरा, वॉइस रिकॉर्डर) का इस्तेमाल उनकी सहमति के बिना उन पर नजर रखने के लिए किया जाता है.
यह कैमरा और माइक इसलिए लगाए गए हैं ताकि वन की निगरानी, प्राकृतिक क्षेत्रों और वन्यजीवों की सुरक्षा हो सके. लेकिन कुछ स्थानीय और अस्थाई कर्मचारियों की वजह से इसका दुरुपयोग हो रहा है. कैम्ब्रिज के शोधकर्ता त्रिशांत सिमलाई ने कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के आसपास रहने वाली महिलाओं सहित 270 स्थानीय लोगों का इंटरव्यू लिया. उनकी रिपोर्ट कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी की पत्रिका एनवायरनमेंट एंड प्लानिंग एफ में प्रकाशित हुई है.
प्रमुख शोधकर्ता त्रिशांत सिमलाई ने इंडिया टुडे डिजिटल को बताया, 'महिलाएं अब जंगल में जाने को लेकर घबराई हुई हैं. यह उनके लिए एक सुरक्षित जगह हुआ करती थी, लेकिन अब ऐसा नहीं रहा है.'
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