
पराली जल रही तो आंकड़े कम कैसे? पंजाब के अफसरों की मिलीभगत से किसान NASA के सैटेलाइट को दे रहे धोखा
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भगवंत मान सरकार यह दावा करती है कि अब पराली जलाने के मामलों में 70 फीसदी की कमी आई है. लेकिन दावों से इतर हकीकत कुछ और ही है. आजतक की स्पेशल इन्वेस्टिगेशन में ये पता चला है कि पंजाब में पराली जलाने की घटनाएं कम नहीं हुईं, बल्कि NASA का सैटेलाइट इस आग को पकड़ नहीं पा रहा है.
दिल्ली-NCR में बढ़ता प्रदूषण चिंताजनक है. अक्सर इसके लिए पंजाब की पराली का जिम्मेदार ठहराया जाता है. ऐसे में आइए जानते हैं कि पराली में पंजाबे के दावे का सच क्या है. भगवंत मान सरकार यह दावा करती है कि अब पराली जलाने के मामलों में 70 फीसदी की कमी आई है. लेकिन दावों से इतर हकीकत कुछ और ही है.
आजतक की स्पेशल इन्वेस्टिगेशन में ये पता चला है कि पंजाब में पराली जलाने की घटनाएं कम नहीं हुईं, बल्कि NASA का सैटेलाइट इस आग को पकड़ नहीं पा रहा है. NASA का सैटेलाइट पंजाब के ऊपर से दोपहर 2 बजे के आस-पास गुजरता है और पंजाब में पराली जलाने का काम शाम 4 बजे के बाद शुरू होता है. ताकि इस आग के इस हॉट-स्पॉट को सैटेलाइट के कैमरे में रिकॉर्ड ना हो पाए. अब बड़ा सवाल ये है कि पंजाब के किसानों को सैटेलाइट के ऊपर से गुजरने के टाइम के बारे में कैसे पता चला.
अफसरों की मिलीभगत स जल रही पराली
तो इसका जवाब ये है कि पंजाब सरकार द्वारा नियुक्त किए गए नोडल अधिकारी ही गांव-गांव जाकर किसानों को ये जानकारी दे रहे हैं कि कैसे सैटेलाइट को धोखा देना है, ताकि पंजाब में पराली जलाने की घटनाओं को कम करके दिखाया जा सके. पंजाब के संगरूर में हमारी मुलाकात पटवारी यूनियन के अध्यक्ष से हुई, क्योंकि पटवारियों की जिम्मेदारी किसानों को पराली जलाने से रोकने की है.
विपिन नाम के पटवारी ने जानकारी दी कि जिन पटवारियों की ड्यूटी लगी थी उनका किसानों को एक ही मैसेज था कि आग 4 बजे के बाद ही लगाए. किसानों को अपनी मर्जी करनी है, जिसे आग नहीं लगानी होती वो नहीं लगाता. जिसे लगानी ही होती है, उसे रोकने के बावजूद भी आग लगानी होती है.
कौन भरता है जुर्माना?

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