रिकॉर्ड कमाई के बाद सस्ता हुआ 'पठान' का टिकट! ब्रह्मास्त्र-दृश्यम 2 में हिट रहा फॉर्मूला और बढ़ाएगा कमाई?
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शाहरुख खान की फिल्म 'पठान' बॉक्स ऑफिस पर कलेक्शन की सुनामी ला चुकी है. 6 ही दिन में धमाकेदार कमाई के साथ इसने कलेक्शन के लिए कई बड़े-बड़े रिकॉर्ड तोड़ डाले हैं. अब खबर आ रही है कि मेकर्स ने फिल्म के टिकट सस्ते कर दिए हैं. क्या 'पठान' को इससे और ज्यादा फायदा होगा?
शाहरुख खान के धमाकेदार एक्शन अवतार वाली 'पठान', कमाई के ऐसे रिकॉर्ड बना रही है जो किसी ने भी नहीं सोचा होगा. सिर्फ 6 दिनों में फिल्म का नेट इंडिया कलेक्शन 300 करोड़ का पहाड़ पार कर चुका है. जबकि वर्ल्डवाइड 'पठान' का ग्रॉस कलेक्शन 6 दिनों में 600 करोड़ से ज्यादा हो गया है. 'बुधवार' को रिलीज हुई 'पठान' एक हफ्ते से भी कम समय में शाहरुख खान के करियर की सबसे बड़ी फिल्म बन गई है.
थिएटर्स में पहुंचने के पहले ही दिन से शाहरुख की फिल्म कमाई के रिकॉर्ड्स बना रही है और बॉक्स ऑफिस पर रिकॉर्ड कलेक्शन का पहाड़ खड़ा करने को तैयार है. लेकिन अब एक ऐसी खबर आ रही है जिससे अबतक 'पठान' न देख पाने वाले दर्शकों की एक्साइटमेंट पहले से ज्यादा बढ़ जाएगी, और वो जल्दी ही फिल्म देखने का प्लान बना डालेंगे.
मिड डे की एक रिपोर्ट के अनुसार, 'पठान' के टिकट का दाम सोमवार से ही 25% तक घट गया है. दूसरे हफ्ते में फिल्मों के टिकट रेट कम हो जाना एक आम बात है. लेकिन 'पठान' के मेकर्स ने 5 ही दिन बाद ऐसा करके जनता को एक बड़ा तोहफा दिया है. कमाल की बात ये है कि टिकट के दाम भले कम हो गए हों, मगर इस फैसले से 'पठान' के बॉक्स ऑफिस आंकड़ों में और उछाल आ सकता है. आइए बताते हैं इस फैसले का पूरा हिसाब-किताब.
फिल्मों के कलेक्शन का गणित फिल्मों का डिस्ट्रीब्यूशन अलग-अलग मार्किट सर्किट के हिसाब से होता है. जैसे- दिल्ली सर्किट में दिल्ली, यूपी, उत्तराखंड के इलाके आते हैं. बॉम्बे सर्किट में मुंबई, गोवा, गुजरात, महाराष्ट्र के कुछ इलाके और कर्नाटक के क्षेत्र शामिल होते हैं.
फिल्म के मेकर्स हर मार्किट के हिसाब से डिस्ट्रीब्यूटर से डील करते हैं और डिस्ट्रीब्यूटर उन्हें फिल्म की एक कीमत अदा करता है. कई सर्किट्स के लिए एक ही डिस्ट्रीब्यूटर भी हो सकता है और हर सर्किट के लिए अलग भी. ये डिस्ट्रीब्यूटर फिल्म प्रदर्शकों यानी थिएटर्स तक फिल्में पहुंचाते हैं और नेट कलेक्शन में दोनों की हिस्सेदारी होती है. मोटे तौर पर ये गणित समझें तो, एक टिकट के दाम को ग्रॉस कलेक्शन कहा जाता है और इसमें से सरकार को जाने वाला टैक्स घटाकर जो बचता है, वो है नेट कलेक्शन.
फिल्म के पहले हफ्ते में, नेट कलेक्शन में डिस्ट्रीब्यूटर और फिल्म प्रदर्शक लगभग बराबर के हिस्सेदार होते हैं. जबकि दूसरे हफ्ते में, और उसके बाद हर हफ्ते डिस्ट्रीब्यूटर का शेयर घटता जाता है और फिल्म प्रदर्शकों का हिस्सा बढ़ता रहता है. ये अरेंजमेंट इसलिए है क्योंकि सबसे ज्यादा लोग पहले हफ्ते में फिल्म देखते हैं और हफ्ते दर हफ्ते ऑडियंस घटती जाती है. ऐसे में डिस्ट्रीब्यूटर के मोटी कमाई शुरू में हो जाती है. जबकि थिएटर्स को घटते दर्शकों के बावजूद, शो चलाने के लिए हर हफ्ते स्टाफ, बिजली और बाकी चीजों पर उतना ही खर्च करना पड़ता है.