
रवांडा में 6 अप्रैल 1994 का खूनी इतिहास, जहां आज भी लाखों बच्चे हैं 'हत्यारे के बेटे'
Zee News
रवांडा में हुए इस भीषण नरसंहार में जिस सबसे खतरनाक हथियार का इस्तेमाल किया गया उसका नाम था ‘बलात्कार’. यह हथियार इतना पैना था कि रवांडा के लोगों के जेहन में आज भी वे जख्म इतने गहरे हैं कि उनकी आंखों से आज भी आसुओं के रूप में खून रिसता है.
नई दिल्ली: परिवार में डर ऐसा कि पतियों ने अपनी पत्नियों को मार डाला, अपना वर्चस्व बचाने के लिए एक कबीले ने दूसरे कबीले की औरतों के साथ दुष्कर्म किया. 100 दिन के भीतर लाखों लोग मौत के घाट उतार दिए गए. जो बच गए वह आज तक उस दंश को जेहन में लिए जी रहे हैं.