मौत के मुंह में धकेल रही U-Turn लेने की मजबूरी... क्या सरकारी लापरवाही का नतीजा है जयपुर अग्निकांड?
AajTak
जयपुर में हुए इस हादसे को मैनमेड भी कहा जा सकता है. बेशक ये हादसा ड्राइवरों की लापरवाही है, लेकिन जिस हाइवे पर हर घंटे हजार वाहन निकल रहे हों वहां सरकारों ने बीते 6-7 सालों से गंभीर जानलेवा लापरवाही कर रखी है. जयपुर से करीब 10 km पहले यू टर्न ले रहे एलपीजी टैंकर को केमिकल से भरे ट्रक ने टक्कर मारा.
राजस्थान (Rajasthan) की राजधानी जयपुर में पेट्रोल पंप के पास हुआ सड़क हादसा रूह कंपाने वाला है. सामने आया है कि इस धमाके और अग्निकांड में एक-एक कर 40 से ज्यादा गाड़ियां आग की चपेट में आ गईं. इस दौरान यात्रियों से भरी बस में भी आग लग गई और इसमें सवार 7 यात्री जिंदा जल गए और 40 से ज्यादा लोग घायल बताए जा रहे हैं. अब तक मिली जानकारी के मुताबिक इस हादसे में 11 लोगों की मौत हो गई है और कई लोग गंभीर रूप से झुलस गए हैं.
यू-टर्न लेने के कारण हुआ हादसा जयपुर में हुए इस हादसे को मैनमेड भी कहा जा सकता है. बेशक ये हादसा ड्राइवरों की लापरवाही है, लेकिन जिस हाइवे पर हर घंटे हजार वाहन निकल रहे हों वहां सरकारों ने बीते 6-7 सालों से गंभीर जानलेवा लापरवाही कर रखी है. जयपुर से करीब 10 km पहले यू टर्न ले रहे एलपीजी टैंकर को केमिकल से भरे ट्रक ने टक्कर मारा. एलपीजी टैंकर के पीछे नोज़ल से गैस निकलना शुरू हुई और 10 सेकेंड में पेट्रोल की गाड़ियां आग का गोला बन गई. जहां पर ये एक्सीडेंट हुआ है वहां अजमेर की दिशा से आ रहा और जयपुर की तरफ जा रहा टैंकर यू टर्न लेकर वापस अजमेर की तरफ मुड़ रहा था क्योंकि इस एलपीजी टैंकर को थोड़ी दूर पर रिंग रोड पर चढ़कर आगरा रोड की तरफ जाना था.
दिल्ली अजमेर हाइवे पर है समस्या यहां पर नेशनल हाइवे -8 यानी दिल्ली अजमेर हाइवे पर यू टर्न लेने की मजबूरी सरकारों की लापरवाही का नतीजा है. वसुंधरा सरकार में 2016 में रिंग रोड बनी और उद्घाटन 2018 के आखिरी में हुआ था. काम अधूरा था इसलिए मार्च 2019 में गहलोत सरकार के आने के बाद यातायात शुरू हुआ, लेकिन गहलोत सरकार ने भी इस पर ऊपर चढ़ने के लिए क्लोअर लीफ़ नहीं बनाए जिससे अजमेर की तरफ से आ रहा ट्रैफिक घूमकर दूसरे साईड के उपर से निकल कर रिंग पर चढ़े.
सरकारें बदलें पर नहीं बदली व्यवस्था तब से रिंग रोड के क्लोअर लीफ के लिए केवल पिलर ही खड़े हैं. अब सरकार भी बदल गई है. राजस्थान में भजनलाल सरकार है, लेकिन अभी भी काम पूरा नहीं हुआ है. जिसे भी आगरा-कोटा जाना होता है वह रिंग रोड पर चढ़ने के लिए यहां से यू टर्न लेता है जिससे आए दिन हादसे होते हैं लेकिन शुक्रवार को बड़ा हादसा हो गया. अब इस बीच मुंबई दिल्ली एक्सप्रेस वे भी बन गया है. हादसे वाले नेशनल हाइवे-8 को यही रिंग रोड मुंबई दिल्ली एक्सप्रेस वे जोड़ता है. अचानक से इस यू टर्न पर ट्रैफिक बढ़ा तो आठ साल बाद पिछले महीने फिर से क्लोवर लीफ़ पर काम शुरू हुआ मगर तब तक हादसा हो गया.
नए सिरे शुरू कराया गया है काम इस तरह से सरकारों की नाकामी की वजह से ये हादसा हुआ है. हाइवे पर यू टर्न लेकर मुंबई- दिल्ली हाइवे, आगरा और टोंक हाइवे पर जाने की मजबूरी है. 2018 में क्लोअर लिफ का काम शुरू हुआ थी, तब जिस कंपनी (सोना बिल्ड्स और भारती स्पन कंपनी) को क्लोअर लीफ का टेंडर मिला था, जो बैंक करप्ट हो गई है और चार साल पहले काम छोड़ कर भाग गई. अब NHAI ने नए सिरे से बिडिंग करके इसी महीने 107 करोड़ रुपये में काम शुरू कराया गया है, जो कि 2026 में पूरा होगा.
एसपी (ग्रामीण) सुमित कुमार अग्रवाल ने लालपुर स्थित महिला कॉलेज और कौशल कॉलेज की छात्राओं से कॉलेजों, सार्वजनिक परिवहन और सड़कों पर सुरक्षा चिंताओं के बारे में बातचीत की. पुलिस ने महिला कॉलेज की छात्राओं को स्थानीय पुलिस स्टेशन के प्रभारियों के संपर्क नंबर दिए और उन्हें छेड़छाड़ या छेड़छाड़ की किसी भी घटना की रिपोर्ट करने के लिए प्रोत्साहित किया. अधिकांश छात्राएं 100, 112 जैसे आपातकालीन नंबरों और क्यूआर कोड प्रणाली से अनजान पाई गईं.
उत्तर प्रदेश में हाल ही के दिनों में मंदिर-मस्जिद विवाद के मामलों में इजाफा देखने को मिला है. चाहे वो संभल की मस्जिद का विवाद हो या बदायूं और जौनपुर की. इन घटनाओं की वजह से सूबे में सांप्रदायिक तनाव भी बढ़ा है. लगातार हो रहीं मस्जिदों के सर्वे के मांग को लेकर यूपी सरकार विपक्ष के निशाने पर है. इसी बीच इन्हीं घटनाओं को लेकर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत ने बड़ा और सख्त बयान दिया है.
मंदिर-मस्जिद पॉलिटिक्स पर मोहन भागवत ने कुछ ऐसा कहा कि कांग्रेस, समाजवादी पार्टी से लेकर तमाम विपक्षी उनके बयान का स्वागत कर रहे हैं. भागवन ने पुणे के एक कार्यक्रम में कहा कि देश में हर दिन एक नई मस्जिद को मन्दिर बताना सही नहीं है. अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के बाद कुछ लोगों को ऐसा लगता है कि वो ऐसे मुद्दे उठाकर हिंदुओं के नेता बन जाएंगे. देखें विश्लेषण.
मंदिर-मस्जिद पॉलिटिक्स पर मोहन भागवत ने कुछ ऐसा कहा कि कांग्रेस, समाजवादी पार्टी से लेकर मुस्लिम धर्मगुरू उनके बयान का स्वागत कर रहे हैं. वहीं दूसरी तरफ संघ प्रमुख का बयान हिंदूवादी नेताओं और मस्जिद के नीचे मंदिर खोजने वालों के लिए चुभने वाला है, किसी कड़वी दवा जैसा है. आखिर मंदिर-मस्जिद पॉलिटिक्स के बहाने, संघ प्रमुख ने किसपर निशाना साधा है, भागवत का संदेश क्या है. देखें स्पेशल रिपोर्ट.