जयपुर अग्निकांड: नियमों की धज्जियां उड़ा रही थी बस, जिसमें सवार थे 33 यात्री, 20 झुलसे
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दुर्घटनास्थल पर मौजूद जयपुर के पुलिस आयुक्त बीजू जॉर्ज जोसेफ ने बताया कि टक्कर में एलपीजी टैंकर का आउटलेट नोजल क्षतिग्रस्त हो गया, जिससे गैस रिसाव हुआ और आग लग गई. अधिकारियों के अनुसार, दुर्घटना सुबह करीब 5.30 बजे हुई, जब अंधेरा था और यह हादसा एक स्कूल के सामने हुआ.
जयपुर-अजमेर हाईवे पर शुक्रवार सुबह एलपीजी टैंकर और ट्रक के बीच टक्कर के बाद धमाके में 11 लोगों की मौत हो गई और 37 गाड़ियां जलकर राख हो गई. दर्जनों लोग घायल हैं, जिनका अस्पताल में इलाज चल रहा है. इस बीच हादसे ने देश में सड़क पर फैले भ्रष्टाचार और लापरवाही का भी पोल खोल दी है. कारण, इस हादसे की चपेट में एक बस भी आ गई, जिसमें सवाल 20 पैसेंजर झुलस गए. इस बस का परमिट एक्सपायर हो चुका है.
उदयपुर से आ रही स्लीपर बस नंबर RJ-27 PC0030 में 34 पैसेंजर थे, जिनमें से 20 यात्री अस्पताल लाए गए. अभी ड्राइवर-कंडक्टर समेत 14 लोगों की जानकारी नहीं है. इस बस का परमिट 16 महीने पहले यानी 25 अगस्त 2023 को ही खत्म हो गया था. बस का AITP (ऑल इंडिया टूरिस्ट परमिट) 8 जुलाई 2024 को एक्सपायर हो गया था.
झूठ बोल रहा बस का मालिक?
परमिट एक्सपायर होने का सीधा मतलब होता है कि बस को परिवहन विभाग सड़क पर चलने की इजाजत नहीं दे रहा है. इसको पकड़कर जब्त करने की जिम्मेदारी आरटीओ विभाग की होती है. जब उदयपुर के बस मालिक अब्दुल सलीम खान से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि वो कभी बस नहीं चलाते, केवल 19 दिसंबर की ही बुकिंग ली थी जबकि ऑनलाइन चेक करने पर साफ दिख रहा है कि वो रोज बुकिंग ले रहा है.
एसएमएस मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. दीपक माहेश्वरी ने बताया, "कुल 11 लोगों की मौत हुई है. पांच लोगों को मृत अवस्था में एसएमएस अस्पताल लाया गया. पांच लोगों ने इलाज के दौरान दम तोड़ दिया. एक व्यक्ति की मौत जयपुरिया अस्पताल में हुई है. 27 लोग एसएमएस अस्पताल में भर्ती हैं और एक व्यक्ति का निजी अस्पताल में इलाज चल रहा है."
गैस रिसाव से भीषण आग लगी
एसपी (ग्रामीण) सुमित कुमार अग्रवाल ने लालपुर स्थित महिला कॉलेज और कौशल कॉलेज की छात्राओं से कॉलेजों, सार्वजनिक परिवहन और सड़कों पर सुरक्षा चिंताओं के बारे में बातचीत की. पुलिस ने महिला कॉलेज की छात्राओं को स्थानीय पुलिस स्टेशन के प्रभारियों के संपर्क नंबर दिए और उन्हें छेड़छाड़ या छेड़छाड़ की किसी भी घटना की रिपोर्ट करने के लिए प्रोत्साहित किया. अधिकांश छात्राएं 100, 112 जैसे आपातकालीन नंबरों और क्यूआर कोड प्रणाली से अनजान पाई गईं.
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