
नेपोटिज्म के हेड कहे जाने वाले करण जौहर बोले- '90% आउटसाइडर्स को दिया मौका'
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करण ने पोस्ट लिखकर बताया कि अक्सर नेपोटिज्म को बढ़ावा दिए जाने के नाम पर उन्हें ट्रोल किया जाता है, लेकिन मजेदार बात ये है कि 90 प्रतिशत उनके साथ आउटसाइडर्स ही काम करते हैं. वो बताते हैं कि उनका उद्देश्य हमेशा ऐसी कहानियों और फिल्मों को सामने लाना रहा है, जिनमें वो विश्वास करते हैं, भले ही उनका मकसद केवल मनोरंजन करना या मस्ती करना हो.
फिल्म मेकर करण जौहर ने हाल ही में एक नोट लिखकर अपनी भावनाएं जाहिर की हैं. उन्होंने साथ ही अपनी प्रोडक्शन कंपनी धर्मा प्रोडक्शन्स के बैनर तले बनने वाली एक नई फिल्म जिक्र भी किया. इस नोट में वो अपने फिल्म मेकिंग के सफर और इस नई फिल्म से जुड़ी अपने इमोशन्स को जनता से शेयर करते दिखे.
करण ने पोस्ट लिखकर बताया कि अक्सर नेपोटिज्म को बढ़ावा दिए जाने के नाम पर उन्हें ट्रोल किया जाता है, लेकिन मजेदार बात ये है कि 90 प्रतिशत उनके साथ आउटसाइडर्स ही काम करते हैं. वो बताते हैं कि उनका उद्देश्य हमेशा ऐसी कहानियों और फिल्मों को सामने लाना रहा है, जिनमें वो विश्वास करते हैं, भले ही उनका मकसद केवल मनोरंजन करना या मस्ती करना हो.
करण ने कही दिल की बात
करण लिखते हैं, 'जब मैंने 2003 में धर्मा में एक एक्टिव रूप से फिल्म मेकिंग शुरू की थी (जब मैंने कल हो ना हो के साथ शुरुआत की थी) - मेरा विचार फिल्म मेकर्स और कहानी लिखने वालों को सशक्त करते हुए उन्हें आगे बढ़ाने वाला था. हमें कुछ सही लगा, हमने कुछ-कुछ इसे गलत भी समझा, लेकिन इरादा हमेशा उन कहानियों और फिल्मों को सामने लाने का था जिनमें हम विश्वास करते थे. मकसद केवल मनोरंजन करना या फिल्मों में मस्ती करना था.
'मुझे ये कहते हुए गर्व हो रहा है कि हमारी अगली पेशकश हिंदी सिनेमा में हमारे 24वीं डेब्यूटेंट फिल्म मेकर हैं.' इसी के साथ करण ने एक अमेजिंग फैक्ट भी बताया और लिखा, 'ट्रोल्स के ट्रिविया के लिए: 90% लोग बाहरी हैं. मैं किसी फिल्म की रिलीज या अनाउंसमेंट से पहले शायद ही कभी नोट्स लिखता हूं लेकिन कुछ फिल्में मुझे उत्साहित करती हैं, ऊर्जा देती हैं और इस फिल्म के प्रोसेस ने मुझे प्रेरित किया है.'
किस डायरेक्टर की बात कर रहे हैं करण?

शेखर ने लिखा कि फिल्म को बिना उनकी जानकारी के कट किया गया है. हालांकि, उन्हें डायरेक्टर होने का क्रेडिट दिया है. शेखर ने सवाल खड़े किए हैं कि कोई उनके नजरिए को कैसे बदल सकता है. अगर बदल रहा है तो ये बेइज्जती है और इसपर सवाल खड़े करने बनते भी हैं. यही चीज अगर क्रिस्टोफर नोलन की फिल्म के साथ की जाती तो ठीक होती?

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