![जब राजेंद्र कुमार ने बेटे कुमार गौरव की खातिर गिरवी रखा बंगला, आज गुमनामी की जिंदगी जी रहा एक्टर](https://akm-img-a-in.tosshub.com/aajtak/images/story/202305/kumar_gaurav-sixteen_nine.jpg)
जब राजेंद्र कुमार ने बेटे कुमार गौरव की खातिर गिरवी रखा बंगला, आज गुमनामी की जिंदगी जी रहा एक्टर
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राजेंद्र कुमार नहीं चाहते थे कि उनका बेटा कुमार गौरव हीरो बने. वह चाहते थे कि निर्देशन में कुमार हाथ आजमाएं. राजेंद्र के स्क्रीन टेस्ट में फेल होने के बाद कुमार ने राज कपूर को ज्वॉइन किया. असिस्टेंट डायरेक्टर के तौर पर कुमार ने राज कपूर के साथ करीब दो साल काम किया. तब जाकर इन्हें 'लव स्टोरी' फिल्म मिली थी.
पढ़ाई- लिखाई पूरी करके बेटा कई सालों बाद घर लौटा है. उसके पसंद के पकवान बने हैं. पापा के साथ डाइनिंग टेबल पर बैठकर खूब चाव से बेटा पकवान खा रहा है. और अचानक से कहता है कि पापा, मुझे एक्टर बनना है. आपका इंडस्ट्री में खूब नाम है. आपने अच्छा काम भी किया हुआ है तो आपके कॉन्टैक्ट्स तो होंगे ही. मेरी कुछ मदद करिए, मैं आपकी तरह एक्टर बनना चाहता हूं. और यह मेरी ख्वाहिश तो है ही, साथ ही जिद भी है. बेटे की यह बात सुनकर पापा चुप हैं. माहौल में खामोशी आ गई है. सन्नाटा पसर चुका है. सोच- विचार करके पापा, बेटे के सामने एक शर्त रखते हैं, तुम्हें स्क्रीन टेस्ट देना होगा. अगर इसमें पास होते हो तो मैं खुद तुम्हारे लिए फिल्म प्रोड्यूस करूंगा. अगर नहीं तो वही करना होगा जो मैं करने को कहूंगा. बेटा शर्त मान लेता है. स्क्रीन टेस्ट देता है, पर फेल हो जाता है. नतीजतन बेटे को वही करना पड़ता है जो उसके पापा कहते हैं.
बाप- बेटे की यह बातचीत, राजेंद्र कुमार और कुमार गौरव के बीच की हमने आपको बताई है. राजेंद्र कुमार नहीं चाहते थे कि उनका बेटा कुमार गौरव हीरो बने. वह चाहते थे कि निर्देशन में कुमार हाथ आजमाएं. स्क्रीन टेस्ट में फेल होने के बाद कुमार गौरव ने राज कपूर को ज्वॉइन किया. राज कपूर उस समय फिल्म 'सत्यम शिवम सुंदरम' (1978) बना रहे थे. असिस्टेंट डायरेक्टर के तौर पर कुमार ने राज कपूर के साथ करीब दो साल काम किया. जब चीजें सीख लीं तो एक बार फिर कुमार के दिल और दिमाग में हीरो बनने का कीड़ा उठा.
कुमार ने फिर उठाई हीरो बनने के लिए आवाज एक बार फिर कुमार ने पापा राजेंद्र के सामने कहा कि मैं हीरो बनना चाहता हूं. इस बार फिर से राजेंद्र ने वही शर्त रखी. स्क्रीन टेस्ट दो. उसमें पास होते हो तो मैं तुम्हारी फिल्म प्रोड्यूस करूंगा, नहीं तो तुम्हें अपना संघर्ष खुद करना पड़ेगा. कुमार का इस बार स्क्रीन टेस्ट RK स्टूडियो में रखा गया. राज कपूर जैसे फिल्ममेकर सामने बैठे थे, कुमार काफी नर्वस हो गए. और वहां घबरा गए. वह कुछ बोल ही नहीं पाए, परफॉर्म करने की तो बात दूर की थी. राजेंद्र भी वहां मौजूद थे. कुमार को इस तरह देख उन्हें बहुत गुस्सा आया. राजेंद्र ने कहा- दो साल राज कपूर जैसी शख्सियत के साथ काम करने के बावजूद तुम अपने काम में फिसड्डी रह गए. फेल हो गए. तुम एक्टर बनने के लायक नहीं हो.
पहली फिल्म रही सुपर-डुपर हिट राज कपूर की सलाह पर राजेंद्र ने अपने बेटे कुमार गौरव को रोशन तनेजा के एक्टिंग स्कूल भेजा. वहां 6 महीने एक्टिंग सीखने के बाद कुमार जब घर वापस लौटे. राजेंद्र ने बेटे के लिए फिल्म साइन की हुई थी. फिल्म का नाम था 'लव स्टोरी'. यह साल 1981 में रिलीज हुई थी. अपनी डेब्यू फिल्म से ही रातोरात कुमार स्टार बन गए थे. 14 साल की एक्ट्रेस विजयता प्रताप संग 25 साल के कुमार ने ऑनस्क्रीन रोमांस किया था जो उस जमाने में काफी बड़ी बात थी. पर शायद इनकी किस्मत में कुछ और लिखा था. 'लव स्टोरी' के बाद लगातार कुमार की फिल्में फ्लॉप पर फ्लॉप हो रही थीं. एक्टर काफी स्ट्रेस में आ रहे थे.
राजेंद्र ने बेटे के लिए बंगला गिरवी रखा कुमार ने अपने पिता राजेंद्र पर दबाव बनाना शुरू किया. कुमार जानते थे कि उनके पिता के पास खूब पैसा है. वह उनकी मदद कर सकते हैं. पर राजेंद्र, कुमार को फिल्म बनाने के लिए मना कर रहे थे. बाप- बेटे के बीच इस बात को लेकर काफी तनातनी भी चल रही थी. पर बीच में राजेंद्र की पत्नी शुक्ला कुमार आईं. उन्होंने राजेंद्र को समझाया और बेटे कुमार के लिए फिल्म बनाने के लिए कहा. उस समय राजेंद्र ने बेटे कुमार के लिए फिल्म 'लवर्स' बनाई. इसमें कुमार ने पद्मिनी कोल्हापुरे के साथ स्क्रीन शेयर की थी. फिल्म में खर्च इतना हुआ कि राजेंद्र को इसके लिए बंगला तक गिरवी रखना पड़ गया.
कुमार ने आखिरी फिल्म साल 2009 में की थी. इसके बाद से एक्टर गुमनामी की जिंदगी जी रहे हैं. हालांकि, आज के समय में कुमार एक बिजनेसमैन हैं. सोशल मीडिया से दूर रहते हैं.